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माघ मेला 2022 : गंगा की तेज धारा और कटान से बढ़ी मुसीबत, तैयारियां प्रभावित

गंगा की तेज धारा के बहाव की वजह से संगम किनारे इन दिनों कटान हो रहा है. कटान की वजह से किनारे की रेत कटकर नदी में गिर रही है. जिस कारण माघ मेला 2022 ( Magh Mela 2022 ) के लिए बनाए जाने वाले पांटून पुल के निर्माण में भी दिक्कत होने के साथ ही स्नान घाट बनाने में भी परेशानी हो रही है. हालांकि कमिश्नर का दावा है कि जल्द ही गंगा में आने वाले पानी की मात्रा कम हो होगी.

गंगा नदी में कटान.
गंगा नदी में कटान.

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Published : Dec 20, 2021, 7:09 AM IST

प्रयागराज : 14 जनवरी से माघ मेला 2022 ( Magh Mela 2022 ) की शुरुआत होनी है और अभी तक मेला क्षेत्र में एक भी पीपा पुल न तो तैयार हुआ है और न ही कोई सड़क पूरी बन पायी है. गंगा नदी में पहाड़ी इलाकों में हुई बारिश की वजह से दूसरी बार बाढ़ आ गयी थी जिस कारण माघ मेला का अधिकतर इलाका दूसरी बार जलमग्न हो गया था. बाढ़ का पानी उतरने के बाद जमीन सूखने में समय लग गया, इसके बाद ही मेले की तैयारियां शुरू हो पाईं हैं. अब गंगा नदी के बढ़े हुए जलस्तर की वजह से कटान हो रहा है. तेज बहाव की वजह से होने वाले कटान के कारण गंगा पर पांटून पुल बनाने का काम भी प्रभावित हुआ है. उसके साथ ही संगम और आसपास स्नान घाट बनाने के काम में भी देरी हो रही है. क्योंकि नदी के तेज बहाव की वजह से लगातार कटान जारी है.

कटान रोकने के लिए हो रहे हैं प्रयास

संगम और उसके आसपास सभी इलाकों में सिंचाई विभाग की तरफ से कटान रोकने के लिए तमाम कोशिश की जा रही हैं. एक तरफ जहां पांटून पुल के आसपास कटान रोकने के लिए बांस के कैरेट बनाकर उसमें बालू की बोरियां भरकर लगाई जा रही हैं. वहीं दूसरी तरफ पुलों के आसपास भी नदी के किनारे बालू की बोरियों को लगाया रहा है. इसके साथ ही पुलों के पास दोनों किनारे पर अतिरिक्त पांटून लगाकर नदी की धारा से होने वाले कटान से पुल की सुरक्षा की जा रही है.

माघ मेला 2022 की तैयारियां शुरू.

कमिश्नर का दावा जल्द ही कटान की समस्या होगी दूर

कमिश्नर संजय गोयल का दावा है कि कटान की वजह से माघ मेले का काम लेट नहीं होगा. उन्होंने कहा कि पहाड़ों से गंगा में आने वाले पानी को लगातार नियंत्रित किया जा रहा है. पिछले दिनों जहां 28 हजार क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा जा रहा था. अभी वो घटकर 12 हजार क्यूसेक तक हो गया है. साथ ही आने वाले दिनों में गंगा में सिर्फ आठ से दस हजार क्यूसेक तक जल छोड़ा जाएगा. जिससे कि तेज धारा और बहाव कम होगा. उसी के साथ कटान की समस्या भी काफी हद तक समाप्त हो जाएगी.

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