प्रयागराज:सही तथ्यों को छिपाकर उम्रकैद की सजा से माफी और समय पूर्व रिहाई पाने वाले कैदी की रिहाई का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. साथ ही अदालत ने प्रमुख सचिव कारागार प्रशासन व सुधार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले की जांच करें तथा दोषी जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें. सत्य प्रकाश तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की खंडपीठ ने दिया है.
सत्य प्रकाश तिवारी ने याचिका में उम्र कैद की सजा पाए प्रयागराज के कोटवा निवासी विमल मिश्रा की रिहाई के आदेश को चुनौती दी गई थी. विमल मिश्रा को 28 मई 2022 को उम्र कैद की सजा से माफी देते हुए उसकी समय पूर्व रिहाई का आदेश दिया गया था.
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईके चतुर्वेदी का कहना था कि अभियुक्त एक शातिर अपराधी है तथा उसके विरुद्ध कई मुकदमे दर्ज हैं. सराय इनायत थाने में उसकी हिस्ट्री सीट खुली हुई है. 26 जुलाई 2010 को जब वह फर्रुखाबाद की फतेहगढ़ जेल से इलाहाबाद जिला न्यायालय में पेशी पर लाया गया था तो पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था. बाद में उसे रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया. उसकी फरारी का मुकदमा भी दर्ज हुआ है. यह भी कहा गया कि अभियुक्त के दो भाई जेल वार्डन है, जिनमें से एक बागपत तथा दूसरा आगरा जेल में तैनात है. इन दोनों ने जेल अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी रिपोर्ट तैयार की.
सरकार द्वारा 22 फरवरी 2018 को जारी शासनादेश जिसमें की उम्र कैद की सजा पाए अभियुक्तों के चाल चलन व अच्छे रिकॉर्ड के आधार पर सजा माफ करते हुए समय पूर्व रिहाई का प्रावधान किया गया है, इसी के आधार पर रिहाई की गई. अभियुक्त विमल मिश्रा कि जेल अधिकारियों द्वारा तैयार रिपोर्ट में न तो उसकी जेल से फरारी का जिक्र है और ना ही उसकी हिस्ट्री सीट के बारे में कोई जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कैदियों के चाल चलन के बारे में दी जाने वाली आवश्यक जानकारी भी गायब कर दी गई है. इस पर वरिष्ठ अधिकारियों के हस्ताक्षर भी नहीं है. समय पूर्व रिहाई से संबंधित मूल रिकॉर्ड अदालत ने तलब किए थे.