प्रयागराज: थरवई थाना क्षेत्र के खेवराज पुर गांव में 23 अप्रैल को राजकुमार यादव समेत उनके परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गयी थी. सामूहिक हत्याकांड की इस घटना को 9 दिन का समय बीत चुका है. लेकिन अभी तक पुलिस की टीमें खाली हाथ हैं. 9 दिनों से जांच के नाम पर पुलिस की टीमें हवा में तीर चला रही हैं और अभी तक पुलिस यह भी नहीं जान सकी है कि इस घटना को किसने और क्यों अंजाम दिया है. पुलिस अभी तक इस बात का पता नहीं लगा सकी है. पुलिस की जांच की दिशा अब इस केस में छैमार गैंग की तरफ घूम गयी हैं. पुलिस को शक है कि इस घटना के पीछे उसी गैंग का हाथ हो सकता है. क्योंकि जिले में इस तरह की घटना पहले भी हुई है. एक घटना में छैमार गैंग के मेम्बर पकड़े जा चुके हैं. यही वजह है कि पुलिस के जांच की सुई उसी गैंग की तरफ घूम गयी है.
छैमार गिरोह पर क्यों हुआ शक
जुलाई 2020 में होलागढ़ थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या की गयी थी. पुलिस ने उस मामले में छैमार गिरोह से जुड़े लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. 23 अप्रैल को थरवई थाना क्षेत्र में हुई पूरे परिवार की हत्या भी उसी अंदाज में की गयी है. इसके साथ ही अभी तक दिल दहलाने वाले अंदाज में किये गए. इस हत्याकांड के पीछे किसी तरह के विवाद और कारण के सामने न आने की वजह से भी पुलिस की जांच घुमंतू गिरोह के तरफ घूम गयी है. यही कारण है कि पुलिस की टीमें छैमार गिरोह से जुड़ी जानकारियां एक बार फिर जुटाने में लग गयी हैं.
पुलिस की टीम प्रयागराज के साथ ही आसपास के जिले के साथ ही बिहार और एमपी पुलिस तक से संपर्क कर मामले से जुड़ी जानकारी जुटाने में लगी हुई है. इसके साथ ही मामले के खुलासे के लिए एक एसआईटी का भी गठन किया गया है. पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक छैमार गिरोह के लोग बेहद बरहमी के साथ घटना को अंजाम देते हैं. इस गिरोह के लोग सड़क किनारे रुकते हैं और कूड़ा बिनने का काम करके इलाके की रेकी करते हैं और सड़क किनारे सुनसान इलाके में बने घरों को अपना निशाना बनाते हैं.
इस गिरोह में सरगना बनने के लिए कम से कम छः लोगों का कत्ल करना जरूरी होता है. यही वजह है कि इस गिरोह के लोग बिना किसी लूटपाट या अन्य मकसद के भी हत्या की घटना को अंजाम देने से नहीं चूकते हैं. पुलिस को छैमार गैंग पर शक होने की एक मुख्य वजह यह भी है. कम से कम छः लोगों की बेहरमी से हत्या करने वाले को ही गिरोह में सरगना बनने मौका मिलता है. इसी वजह से इस गिरोह का नाम छैमार गिरोह पड़ा.