प्रयागराज :मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के बारे में हम सभी जानते हैं. उनके पिता दशरथ और पुत्र लवकुश के बारे में भी श्रीराम के भक्तों को पूरी जानकारी है, लेकिन सूर्यवंशी राजा राम के पूर्वजों और उनके वंशजों की विस्तृत जानकारी बहुत ही कम लोगों के पास है. प्रयागराज के राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय में आपको सूर्यवंशी भगवान राम के साथ ही 187 राजाओं के नाम मिल जाएंगे. राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय में 250 साल पुराने दस्तावेज मौजूद हैं. इसमें भगवान श्रीराम का नाम सूर्यवंशवाली में 64वें नम्बर पर दर्ज है.
1750 ई. के आसपास लिखा गया रजिस्टर :संगम नगरी प्रयागराज स्थित राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय में कई दुर्लभ पांडुलिपियां संजो कर रखी गयी हैं. इन्हीं पांडुलिपियों के बीच एक रजिस्टर भी मौजूद है. जिसमें सूर्यवंश के साथ ही चंद्र वंश और मुगल बादशाहों तक की वंशावली दर्ज है. 1750 ई. के करीब लिखे गए इस रजिस्टर में हिंदी के साथ ही अंग्रेजी, उर्दू और अरबी भाषा में लिखावट मिलती है. 250 साल से ज्यादा पुराने इस रजिस्टर को इन पांडुलिपि पुस्तकालय में सुरक्षित ढंग से रखा गया है. आज भी लोग रामायण महाभारत काल से लेकर मुगल शासनकाल तक के राजाओं महाराजाओं की वंशावली को यहां देख सकते हैं. इसमें सबसे खास वंशावली है मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की वंशावली. सूर्यवंश की वंशावली की शुरुआत राजा ज्योतिस्वरूप से हुई है. इसके बाद दूसरे नंबर पर राजा परमशिव का नाम अंकित है. जबकि, इसी वंशावली में भगवान श्रीराम का नाम 64वें स्थान पर लिखा हुआ है. इसी तरह से श्री राम के ऊपर राजा दशरथ उनसे पहले राजा अज उनसे पहले राजा रघु, राजा दिलीप, राजा भगीरथ, राजा सगर, राजा हरिश्चन्द्र जैसे विख्यात नाम अंकित हैं. राजाराम के बाद राजा के रूप में कुश का नाम अंकित है. इस पुस्तकालय में मौजूद सूर्यवंशवाली में कुल 187 नाम अंकित हैं. जिसमें राजा के रूप में आखिरी नाम राजा गोरखा बहादुर का नाम लिखा हुआ है. हेडकर बहुगुणा की डायरी में सूर्यवंश और चंद्रवंश समेत कई और वंशावली अंकित है.
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