प्रयागराज:भले ही सरकार दिल्ली और लखनऊ में बैठती हो लेकिन उसका सूत संगम तीरे ही मिलता है. यह कहावत कई दशकों से प्रसिद्ध रही है. यह जरूरी नहीं कि किसी दल विशेष के झंडे, बैनर, पोस्टर के साथ यहां लोग आएं और चर्चा करें, कुछ संगठन इसका स्वरूप धार्मिक रखते हैं तो कुछ शैक्षणिक.
चाहे संत हो या श्रद्धालु, सभी इस समय राजनीति में रम गए हैं. गौरतलब है कि माघ मेले में हर वर्ष संघ विचार परिवार, कांग्रेस सेवा दल, सपा चिंतन शिविर, दलित चिंतन शिविर, किसान यूनियन और जनमत निर्माण जैसी संस्थाएं अपना शिविर लगाती हैं. सबसे ज्यादा महत्व कल्पवास का होता है.
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यहीं पर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मंथन भी होता है. इस तरह का पर्व यहां आने वाले श्रद्धालु मना रहे है. वहीं, चुनाव लोकतंत्र के महापर्व के रूप में मना रहे है. यहा आये संतों और कल्पवासियों का मानना है कि मंगल ही राजयोग का कारक होता है. ऐसे में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि योगी पुनः मुख्यमंत्री बनेंगे.
योगी का उच्च का मंगल है. गुरु मित्रभाव में पूर्णता प्रकाशवान है जो भी उनके प्रतिद्वंदी हैं, उनका मंगल नीच का होने कारण उनका योग नहीं बन रहा है. उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ सकता है.
साथ ही उन्होंने समस्त राष्ट्र समाज को सलाह दी कि लोगों को बढ़चढ़ कर मतदान करना चाहिए ताकि एक कुशल सरकार बन सके. इतना नहीं माघ मेले में आए श्रद्धालुओं ने भी भाव भक्ति के अलावा राजनीतिक विचार रखे. कुछ ने तो सरकार के पक्ष में बात की तो कुछ श्रद्धालु जमकर सरकार पर भड़ास निकाली.