प्रयागराज:संगम नगरी की बेटी फलक नाज का सेलेक्शन भारतीय क्रिकेट टीम की अंडर 19 महिला टीम में हुआ है. फलक तेज गेंदबाज होने के साथ ही मध्यक्रम की आक्रामक बल्लेबाज भी हैं. जनवरी 2023 में साउथ अफ्रीका में होने वाले अंडर 19 टी 20 महिला विश्वकप में खेलने जाने वाली टीम का हिस्सा प्रयागराज की तेज गेंदबाज फलक भी बन चुकी है. अंडर 19 वर्ल्डकप की महिला क्रिकेट टीम में सेलेक्ट होने के बाद फलक नाज बुधवार की शाम प्रयागराज पहुंची, जहां पर फलक के साथ ही उसके माता पिता और कोच ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
प्रयागराज की रहने वाली फलक नाज के पिता निजी स्कूल में चपरासी हैं और उन्होंने खुद भूखे रहते हुए बेटी के क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा किया. गरीबी के बीच पली बढ़ी फलक ने भी पिता के खून पसीने की कमाई से खरीदे गए गेंद बल्ले की कीमत समझी और प्रयागराज के परेड मैदान से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का सफर तय किया. फलक के माता पिता और कोच सभी का सपना है कि अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम से खेलने के बाद फलक का चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हो और वो महिला वर्ल्ड और टी 20 महिला वर्ल्डकप भी खेलकर देश दुनिया में प्रयागराज का नाम रोशन करे.
फलक की कामयाबी में कोच का अहम किरदार फलक नाज प्रयागराज के के एन काटजू इंटर कॉलेज में 12वीं की छात्रा हैं. इसके साथ ही इसी कॉलेज से क्रिकेट की बारीकी सीखने का काम उन्होंने कोच अजय यादव के नेतृत्व में किया. अजय यादव के देखरेख में ही गेंदबाजी और बल्लेबाजी की बारीकियां सीखी हैं. भारतीय क्रिकेट टीम की अंडर 19 महिला टीम में सेलेक्ट होने के बाद बुधवार को जब फलक पहली बार अपने घर पहुंची तो सबसे पहले वह एयरपोर्ट से सीधे अपने खेल के मैदान पर गई, जहां पर उन्होंने अपने कोच से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया. इसके साथ ही कोच अजय यादव ने भी पलक को ग्राउंड पर ले जाकर आज भी गेंदबाजी और बल्लेबाजी की बारीकियों को सिखाया. वहीं, फलक का कहना है कि उनके इस कामयाबी में उनके माता-पिता के साथ ही कोच का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है, क्योंकि गरीब परिवार से आने वाली फलक के पास क्रिकेटर बनने का सपना तो था. लेकिन उस सपने को पूरा करने के लिए चुकाने वाली कीमत नहीं थी. लेकिन कोच अजय यादव ने फलक के सपने को पूरा करने का न सिर्फ भरोसा दिया. बल्कि फलक से किसी भी तरह की कोचिंग फीस नहीं ली.
फलक के पिता चपरासी की नौकरी करने के बाद करते थे मेहनत मजदूरी
फलक नाज के पिता नासिर अहमद ने बताया कि वह निजी स्कूल में चपरासी का काम करते हैं. लेकिन उस छोटी सी कमाई में वह अपने घर का खर्च भी पूरा नहीं कर पाते थे. बेटी फलक के क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी के बाद भी रात में भी काम करना शुरू किया. छोटे मोटे काम करने के साथ ही इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे. दूसरे घरों की बिजली बनाकर उसी कमाई से बेटी के जीवन में उजाला लाने के लिए निरन्तर मेहनत करते थे. फलक के पिता ने बताया कि वो रात रात भर जागकर मेहनत करते थे. उनका कहना था कि बेटी के खेलने खाने के लिए वह नौकरी के अलावा बचे हुए समय में मेहनत मजदूरी करके कमाई करते थे और उसी पैसे से बेटी के लिए क्रिकेट से जुड़े सभी सामान खरीदते थे.
फलक ने कामयाबी का श्रेय पिता और कोच की मेहनत को दिया
वहीं, फलक ने अपने इस योगदान के लिए अपने माता पिता के साथ ही कोच को श्रेय दिया है. उनका कहना है कि उन्होंने क्रिकेटर बनने का सपना देखा था. लेकिन उस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने सिर्फ मेहनत किया है. बाकी सब कुछ उनके माता पिता और कोच ने किया है. प्रयागराज के परेड मैदान से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम में पहुंचने तक का पलक का सफर था. वह काफी मुश्किलों भरा रहा है. गरीबी की वजह से फलक को यहां तक पहुंचने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिसे यादकर फलक के माता पिता की आंखे आज भी भर आई.
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