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फर्जी डिग्री मामले में यूपी के डिप्टी सीएम को मिली राहत, कोर्ट ने बताया आधारहीन - Allahabad News

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (up deputy cm keshav prasad maurya ) को कथित फर्जी डिग्री के आरोप मामले में प्रयागराज एसीजेएम कोर्ट (Prayagraj ACJM Court) से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अपराध के गंभीर न होने और प्रार्थना पत्र को आधारहीन मानते हुए अर्जी खारिज कर दी है.

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

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Published : Sep 4, 2021, 11:36 PM IST

Updated : Sep 5, 2021, 11:27 AM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को कथित फर्जी डिग्री मामले में बड़ी राहत मिली है. प्रयागराज की एसीजेएम-17 कोर्ट ने इस संबंध में दाखिल अर्जी को खारिज कर दी है. प्रयागराज की एसीजेएम नम्रता सिंह की कोर्ट ने यह अर्जी खारिज की है. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद बीते 6 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में किसी भी थाने में कोई मुकदमा दर्ज नहीं है. भाजपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर त्रिपाठी की ओर से दाखिल अर्जी में फर्जी डिग्री लगाकर चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप हासिल करने का आरोप लगाया गया था. अर्जी में फर्जी डिग्री के आधार पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का निर्वाचन रद्द करने और पेट्रोल पंप का आबंटन भी निरस्त करने की मांग की गई थी. एसीजेएम कोर्ट ने याची अधिवक्ता उमाशंकर चतुर्वेदी की बहस सुनने और एसएचओ कैंट की ओर से प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दाखिल होने के बाद कोर्ट ने एक सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

जानकारी देते अधिवक्ता.

गौरतलब है कि डिप्टी सीएम पर कथित फर्जी डिग्री के आरोप को लेकर दाखिल अर्जी पर एसीजेएम नम्रता सिंह ने एसएचओ कैंट को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था. उन्होंने दो बिन्दुओं पर एसएचओ कैंट से प्रारम्भिक जांच कर रिपोर्ट भी मांगी थी. दिवाकर त्रिपाठी की ओर से दाखिल अर्जी में आरोप लगाया गया था कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री फर्जी है. इसके बाद कोर्ट ने उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष की हिन्दी साहित्य सम्मेलन की डिग्री की जांच का आदेश दिया था. इसके साथ ही हाईस्कूल के फर्जी सर्टिफिकेट पर पेट्रोल पंप हासिल करने के मामले में भी जांच का आदेश दिया था.

एसीजेएम कोर्ट ने प्रियंका श्रीवास्तव बनाम स्टेट ऑफ यूपी के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था. इस मामले में 19 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला दिया था. अर्जी के मुताबिक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर चुनाव के हलफनामे में फर्जी सर्टिफिकेट लगाने का आरोप था. इसके साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर फर्जी डिग्री लगाकर 5 अलग-अलग चुनाव लड़ने का भी आरोप लगाया गया था. अर्जी में कहा गया था कि उन्होंने फर्जी डिग्री के आधार पर ही पेट्रोल पंप भी हासिल किया है.

अर्जी में कहा गया था कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 2007 में शहर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसके बाद 2012 में सिराथू से विधानसभा चुनाव लड़ा और फूलपुर लोकसभा से 2014 में चुनाव लड़ा और एमएलसी भी चुने गए. उन्होंने अपने शैक्षिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी प्रथमा और द्वितीया की डिग्री लगाई है, जो कि प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है.

डिप्टी सीएम पर आरोप था कि इसी डिग्री के आधार पर उन्होंने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से पेट्रोल पंप भी हासिल किया है, जो कौशांबी में स्थित है. वरिष्ठ भाजपा नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरोप लगाए थे कि चुनाव लड़ने के दौरान जो अलग–अलग शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाये गये हैं. उसमें भी अलग-अलग साल दर्ज हैं. इनकी कोई मान्यता नहीं है.

वहीं आज शनिवार को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (up deputy cm keshav prasad maurya ) को कथित फर्जी डिग्री के आरोप मामले में प्रयागराज एसीजेएम कोर्ट (Prayagraj ACJM Court) से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अपराध के गंभीर न होने और प्रार्थना पत्र को आधारहीन मानते हुए अर्जी खारिज कर दी है.

पढ़ें-29 अगस्त से राम नगरी में शुरू होगा 'भरतकुंड महोत्सव', डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य होंगे शामिल

Last Updated : Sep 5, 2021, 11:27 AM IST

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