प्रयागराज: जिले में सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना का रंग बच्चों, युवा और महिलाओ सभी के सिर चढ़कर बोल रहा है. सावन के तीसरे सोमवार से पहले बाबा विश्वनाथ के दरबार में जलाभिषेक के लिए शुक्रवार को बड़ी तादाद में कांवड़िया भोले भक्तों ने प्रयागराज के दारागंज स्थित दशाश्वमेध घाट से जल भरा. वहीं, बोल बम के जयकारों से दशाश्वमेध घाट गूंज उठा. लेकिन सबसे खास बात यह रही कि, इन कांवरियों के जत्थे में नन्हें भोले भक्त भी जल भरने पहुंचे.
प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले के दशाश्वमेध घाट में कांवड़ियों के कठिन अनुष्ठान से गुजर रहे नन्हें शिव भक्त जिग्नेश हर साल इसी दशाश्वमेध घाट से गंगा का जल लेकर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी जाता है. तो वहीं, पहली बार हनुमान गंज के पवन भी दशाश्वमेध घाट से जल भर के बाबा नगरी जलाभिषेक करने जा रहे हैं. जिग्नेश को नहीं पता कि, उसके अंदर बाबा विश्वनाथ की भक्ति की यह धारा कहां से पैदा हुई. लेकिन वह लगातार पिछले 3 वर्षो से इसी तरह कांवड़ लेकर प्रयागराज से काशी जाता है.
प्रयागराज: सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना के रंग में रंगे बाल कांवड़
प्रयागराज में सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना के रंग में बाल कांवड़ भी रंग गये हैं. नन्हें शिव भक्त दशाश्वमेध घाट से गंगा मैया का जल लेकर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी जा रहे हैं. इस बार बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ाने के लिये बच्चें और महिलाएं भी ज्यादा दिख रहे हैं.
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नन्हा कांवड़ियां पवन कहता है की बाबा के दर्शन करने की इच्छा मन में आई और बाबा को जल चढ़ाने के लिए वह निकल पड़ा. वहीं, सुशील कुमार कहते हैं कि, हम लोग के जत्थे में यह नन्हा बालक 12 साल का पवन भी है, जिसके मन में बाबा को जल चढ़ाने की इच्छा जगी और हम लोग के साथ बाबा विश्वनाथ जल चढ़ाने जा रहा है.
घाट पंडा मंगू तिवारी ने बताया कि, ब्रह्माजी ने दशाश्वमेध का यज्ञ प्रयागराज मे किया गया था. इसलिए दशाश्वमेध घाट के जल का काफी महत्व माना जाता है. यहां से कांवड़िया जल भर के बाबा काशी विश्वनाथ धाम पर जल चढ़ाते हैं. इस बार बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ाने के लिए बच्चें और महिलाएं भी ज्यादा दिख रहे हैं.
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