प्रयागराज: 'राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशाला'. हिन्दी साहित्य के मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के गृहनगर प्रयागराज में उनकी मशहूर रचना 'मधुशाला' इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. बच्चन की इस रचना पर आधारित 500 कैनवास पेंटिंग की 'साकी' यानी की रचनाकार प्रयागराज की कलाकार पूनम किशोर हैं. इन पेंटिंग में कल्पना के साथ रंगों का ऐसा अनूठा संयोजन किया गया है, जिन्हें देख ऐसा प्रतित हो है मानों पूरी मधुशाला ही रंगों में उतर आई हो. इन पेंटिंग की तारीफ हरिवंश राय बच्चन के बेटे और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी की है. उन्होंने अपने बाबूजी की विरासत से जुड़ी इनमें पेंटिंग में से कुछ को अपने पास रखा है. कलाकार पूनम का भी यही सपना था कि उनकी ये पेंटिंग बिग बी यानी अमिताभ बच्चन के घर तक पहुंचें.
'मधुशाला' पर आधारित 500 कैनवास पेंटिंग लेखक की संवेदना कोरंगों में उतारने वाली कलाकार
हरिवंश राय बच्चन की अमर रचना 'मधुशाला' की हर रुबाई और उसके हर भाव की संवेदना को रंगों से कैनवास में उतारने वाली कलाकार पूनम किशोर प्रयागराज के मलाकराज की रहने वाली हैं. रंगों में सराबोर होकर थिरकती उंगलियां उस मंजिल के पास उन भावों तक पहुंचना चाहती हैं, जिसे सोचकर हरिवंश राय बच्चन ने मधुशाला की रचना की थी. पूनम के ब्रश की हर थिरकन के साथ जिंदगी की वह कोमल संवेदनाएं और अरमान जुड़े हैं, जो हर जिंदा दिल के ख्वाबों में पलते हैं. जैसे-जैसे मधुशाला के पन्ने आगे बढ़ते है, उनकी रुबाइयां आगे बढ़ती हैं. पूनम के ब्रश से निकलता रंगों का मेल और रंगों की हरकत भी बदलती चली जाती है.
कैनवास पेंटिंग करतीं कलाकार पूनम किशोर. मधुशाला को समझने के लिए 500 से ज्यादा पेंटिंग बनाईकैनवास पर रंगों से मधुशाला की संवेदना को उतारने के लिए पूनम ने कई बार 'मधुशाला' को पढ़ा, ताकि लिखने वाले की मन: स्थिति में इस कदर डूब जाए जहां तस्वीर और कविता की दूरी खत्म होती है. पूनम को ऐसा लगता है कि मधुशाला की अभिव्यक्ति अनंत है, उसे अनंत भावों में समझा जा सकता है. इसी वजह से पूनम ने मधुशाला को रंगों के जरिए समझने के लिए इसकी 500 से ज्यादा पेंटिंग बनाईं. अमिताभ बच्चन ने इन पेंटिंग को देखने के बाद मधुशाला की इस रंगमय प्रस्तुति को अपने घर के ड्राइंग रूम में लगाने की इच्छा जाहिर की है.
कलाकार पूनम किशोर की पेंटिंग देखते अमिताभ बच्चन. साहित्य को रंगों के जरिए समझाना बेहद मुश्किल मधुशाला के साहित्यिक मर्म को नजदीक से समझने वाले साहित्यकार मानते हैं कि किसी की रचना को रंगों के जरिए समझाना बेहद मुश्किल है. रचनाकार जिस मनोभूमि में जाकर अपने भावों को शब्दों के जरिए पेश करते हैं, उस मनोदशा तक जाना इतना आसान नहीं. अभी तक तो मधुशाला को शब्दों के जरिए ही समझा गया था, लेकिन शायद यह पहला मौका है जब इसे चित्रों के जरिए पढ़ा जाएगा. साहित्यकार मानते हैं कि पूनम के इस प्रयास से मधुशाला और पाठकों के बीच की दूरी कम होगी.
रचना को रंगों के जरिए समझाना बेहद मुश्किल. मधुशाला को कला के जानकारों तक पहुंचाना
हरिवंश राय बच्चन की अमर कृति मधुशाला को नया रूप देने की कोशिश, मधुशाला के नए आयाम को कलाकारों तक पहुंचाना है. मधुशाला एक रचना नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है. इसे जिसने भी पढ़ा, वह इसका एक अंश ही समझ सका. पूनम को ऐसी उम्मीद है कि अब रंगों में प्रस्तुत मधुशाला से उसमें छिपे कुछ मर्म और भावों को समझा जा सकेगा. कलाकार पूनम का कहना है कि आप जो भी काम करते हैं या किसी भी फील्ड में हो, किसी भी विषय पर काम करते हो, आप हताश ना हो केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान दें.