प्रयागराज : दीवाली का पर्व आते ही कुम्हारों का चाक तेजी से घूमने लगा है. इस साल 4 नवंबर को पड़ने वाली दीवाली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. जिले के कुम्हार इस बार चायनीज झालरों और मूर्तियों को टक्कर देने के लिए मिट्टी के दीपक और मूर्तियां तैयार करने में जुटे हुए हैं. कोरोना महामारी के बाद इस बार की दीवाली पर कुम्हारों के दिन उबरने की उम्मींद है.
मिट्टी की ये कलाकृतियां लोगों को खूब लुभा रहीं हैं. इस बार कुम्हार दीवाली के लिए नई डिजाइनों के दिए बना रहे हैं, जो हुबहू चाइनीज माल की तरह दिखाई देते हैं. कुम्हारों को इस त्योहार पर अच्छी आमदनी होने की उम्मींद है. मिट्टी की कलाकृतियां बनाने वाले अनिल कुमार ने बताया कि इस बार वह चायनीज माल की तर्ज पर कई प्रकार की डिजाइन के मिट्टी का सामान बना रहे हैं.
कुम्हारों को दीवाली पर अच्छी आमदनी होने की उम्मीद अनिल कुमार ने बताया कि दीवाली का त्योहार नजदीक है इसलिए उनके सामान की मांग बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि आर्डर की अपेक्षा बिक्री अभी कम हो रही है. लेकिन दीवाली तक सारा सामान खपत होने की उम्मींद है. मिट्टी के एक अन्य कलाकार छेदी लाल प्रजापति बताते हैं कि पिछली बार कोरोना महामारी के कारण उनका सारा काम-धंधा ठप हो गया था. उस दौर में मिट्टी के कारीगरों को दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल हो गया था.
चाइना के झालरों की चमक को धुंधली करेगे छेदी लाल प्रजापति ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण मिट्टी के बर्तनों का कारोबार भी ठप हो गया था. किसी भी सामान के लिए आर्डर नहीं मिल रहे थे. उनका कहना है कि इस बार उनके हालात सुधरने की उम्मींद है. उन्होंने बताया कि दीवाली के त्योहार से लगभग 8 महीने पहले इसकी तैयारियां शुरू हो जातीं हैं. कई बार ऐसा होता है कि मेहनत के मुकाबले आमदनी नहीं होती है. छेदी लाल प्रजापति ने बताया कि वह 40 रुपये में 100 मिट्टी के दीए बेंचते हैं. जबकि 100 बड़े दिए की कीमत 70 से 80 रुपये तक मिल जाती है.
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