प्रयागराज: साल 2007 में अस्तित्व में आई प्रयागराज की कोरांव विधानसभा सीट(Koraon assembly) पर आदिवासी मतदाता निर्णायक (Tribal Voter Decisive) की भूमिका में हैं. इससे पहले कोरांव मेजा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था. आदिवासी बाहुल्य इस विधानसभा में 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा नेता राजबली जैसल को जीत मिली थी. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कमल खिला और राजमणि कोल विधायक बने. भाजपा उम्मीदवार राजमणि कोल (BJP candidate Rajamani Kol)को जहां 1 लाख 427 वोट मिले थे. वहीं, दूसरे स्थान पर कांग्रेस के रामकृपाल रहे, जिन्हें 46 हजार 731 वोट मिले थे. राजमणि कोल ने 53 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल करने के साथ ही जिले में सबसे ज्यादा मत हासिल किया था.
कोरांव विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. यहां पर अदिवासी के साथ ही ब्राह्मण और दलित मतदाता (Brahmin and Dalit voters) भी बड़ी संख्या में हैं. विधानसभा के बनने के बाद कोरांव से जहां पहली और दूसरी बार राजबली जैसल विधायक चुने गए. वहीं, 2017 के चुनाव में आदिवासी बाहुल्य इलाका होने की वजह से राजमणि कोल को जनता ने अपना विधायक चुना. अब राजमणि कोल के साथ ही पूर्व विधायक राजबली जैसल और पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे राम कृपाल भी 2022 के चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुके हैं.
कोरांव इलाके में होती है गेंहू और धान की खेती
कोरांव विधानसभा क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई कल-कारखाना नहीं है. यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जहां पर मैदानी इलाके के साथ ही पहाड़ी और पथरीले क्षेत्र भी हैं. यहां के लोग किसानी के अलावा मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं. इस इलाके में आज भी लोगों के सामने पानी की समस्या है. गर्मी के दिनों में तो लोगों के सामने पीने के पानी की भी समस्या खड़ी हो जाती है. सरकार और विधायक के तमाम प्रयासों के बावजूद यह आदिवासी बाहुल्य इलाका अब भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो सका है. इलाके में विकास के तमाम कार्य कराए गए हैं. उसके बावजूद समाज के सबसे पिछड़े लोगों तक सभी सरकारी योजनायें नहीं पहुंच सकी हैं.