प्रयागराज:अमावस्या को इस मास की पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है. अगर पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद न किया हो तो केवल अमावस्या को उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है. इस दिन दान करने का फल अमोघ होता है. साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है.
पितृ पक्ष के दिनों में पितरों का श्राद्ध व तर्पण किये जाने की परंपरा है. 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष का समापन पितृ अमावस्या के दिन किया जाता है. इस बार पितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को है. पितृ अमावस्या के इस दिन को सर्वपितरी श्राद्ध और पितृ विसर्जन का दिन भी कहा जाता है. मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों में धरती लोक पर आये पितरों को इस दिन विदाई दी जाती है. कहा जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पितर वापस अपने लोक लौट जाते हैं. उनकी विदाई के इस दिन पितरों से आशीर्वाद मांग कर उनको सम्मान के साथ विदा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और खास बात यह भी है की इस बार हस्त नक्षत्र पढ़ रहा है. यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है. हिंदू धर्म में इस दिन का महत्व बहुत अधिक है. जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है. उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं. जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म को महत्वपूर्ण माना गया है.
पितरों की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध करने का नियम है. यह बात भी सत्य है कि आप सभी पितरों की तिथि याद भी नहीं रख सकते. इसलिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है. इस दिन ब्राह्मण को घर पर बुलाया जाता है और उन्हें भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है और यह भी मान्यता है कि इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करना चाहिए. दान करने से आने वाले संकट कट जाते हैं या टल जाते हैं.
पितृ विसर्जन अमावस्या कैसे करें पितरों की विदाई