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कोरोना का कहर, चार कंधे की जगह अब चार पहिये पर अर्थी

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Published : May 19, 2021, 10:46 AM IST

कोरोना के इस दौर में लोगों की मौत के बाद उन्हें चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे हैं. प्रयागराज में महामारी की ऐसी दहशत है कि लोग अर्थी को भी कंधा देने से भी कतरा रहे हैं. यही वजह है कि कई बार लोग परिवार के दो तीन सदस्यों के साथ एम्बुलेंस से शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए घाट तक जा रहे हैं.

चार कंधे की जगह अब चार पहिये पर अर्थी
चार कंधे की जगह अब चार पहिये पर अर्थी

प्रयागराज:जिलेमें अप्रैल महीने के दौरान जहां कोरोना से सैंकड़ो लोगों की जान गयी. वहीं दसूरी तरफ इससे कई गुना ज्यादा लोगों की जान अचानक से बीमार होने की वजह से गयी है. तेज बुखार व डायरिया, हार्ट अटैक जैसे कारणों से भी लोगों की मौत में इजाफा हुआ है. लेकिन इन दिनों हुई ज्यादातर मौतों पर कोरोना का साया छाया हुआ था, जिस वजह से मुस्किल भरे इस दौर में महामारी की ऐसी दहशत है कि लोग अपनो के अंतिम समय मे अर्थी को भी कंधा देने से परहेज कर रहे हैं, जिस वजह से श्मसान घाट तक अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों की संख्या में अचानक से कमी आ गयी है.

शव को शमशान घाट पर ले जाने के लिए नहीं मिल रहे लोग
सरकार ने 20 लोगों की अनुमति दी हैकिसी व्यक्ति की मौत के बाद 20 लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सरकार ने छूट दी है. लेकिन गंगा जमुनी तहजीब वाले प्रयागराज शहर में लोगों की अर्थी को कंधा देने के लिए कई बार चार लोग भी नहीं मिल रहे हैं, जिस वजह से मजबूरी में लोगों को परिवार के एक दो सदस्यों के साथ एंबुलेंस से शव को श्मशान घाट तक ले जाना पड़ता है, जहां पर एम्बुलेंस के ड्राइवर व घाट पर मौजूद दूसरे लोगों की मदद से शव को चिता पर रखकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है.मध्य प्रदेश से सिर्फ दो लोग जीप में रखकर लाये थे शवदारागंज के श्मसान घाट पर जीप से दो लोग एक शव लेकर आये थे. उनका कहना है कि बुजुर्ग की बुखार से मौत से मौत हो गयी थी, जिसके बाद गांव वाले कोरोना के डर से अर्थी को कंधा देने नहीं आये, जबकि पट्टीदार और करीबी रिश्तेदार शव के साथ अंतिम संस्कार करने आने को राजी नहीं हुए. कई अपनों ने तो बीमारी का बहाना बनाकर अंतिम दर्शन करने तक से कन्नी काट ली.एम्बुलेंस में महिला का शव लेकर पति और बेटी आए थे श्मसान घाटइसी तरह से एक महिला का शव लेकर उसके पति और बेटी अंतिम संस्कार करने के लिए घाट पर आए थे. इस महिला के शव के साथ दो लोगों के अलावा कोई और नहीं था, जिसके बाद एम्बुलेंस के ड्राइवर व घाट पर अंतिम संस्कार करवाने वाले लोगों ने शव को एम्बुलेंस से उतारकर चिता पर रखवाया और अंतिम संस्कार को कराया. प्रयागराज में अप्रैल महीने में कोरोना ने ऐसा तांडव मचाया है कि केस कम होने के बावजूद लोगों के मन से कोरोना का भय दूर नहीं हो सका है. यही वजह है कि अचानक से बीमार होकर किसी की मौत होने पर लोग उसके अंतिम संस्कार में जाने के साथ ही अर्थी को कंधा देने से कतरा रहे हैं.डर की वजह से अंतिम संस्कार में शामिल होने से बचते हैं लोगप्रयागराज के लोगों का कहना है कि पिछले दिनों जिले में कोरोना के केस ढाई हजार के पास तक पहुंच गए थे, जिसके बाद श्मसान घाटों पर चिताओं का मेला सा लग गया था. उस मंजर को देखकर लोगों के मन में कोरोना की दहशत घर कर गयी है, जिसके बाद किसी भी बीमारी से अचानक से मौत होने वालों के अंतिम संस्कार में शामिल होने से उनके अपने भी बचने लगे हैं, जिस वजह से किसी रिश्तेदार के न आने पर आसपास और पड़ोसी भी आशंकित हो जाते हैं और फोन पर संवेदना जताते हुए अंतिम यात्रा में शामिल न होने हो पाने के लिए बहाना बताते हैं. अपनों की बेरुखी देखकर लोग किराये पर एम्बुलेंस मंगवाकर उसी में शव रखकर अंतिम संस्कार करने घाट तक जाते हैं.

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