प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फर्जी मार्कशीट व प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने वेतन भुगतान के लिए दाखिल याचिका एक लाख रूपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी. और याची अध्यापक को हर्जाना एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि हर्जाना जमा न करने पर जिलाधिकारी राजस्व प्रक्रिया से वसूली करेंगे.
कोर्ट ने कहा कि याची के पिता बीएसए कार्यालय संत कबीर नगर में लिपिक थे. फर्जी अंकपत्र व टीईटी प्रमाणपत्र की जानकारी उस समय के बीएसए महेंद्र प्रताप सिंह को भी थी. प्रबंध समिति से नियुक्ति कराकर अनुमोदन भी कर दिया. शिकायत मिलने पर जांच बैठाई गई और वेतन भुगतान रोका गया. कोर्ट ने राज्य सरकार को बीएसए रहे महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ तुरंत विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने पं दीनदयाल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिटिया बेलहर संत कबी रनगर के सहायक अध्यापक मंजुल कुमार की याचिका पर दिया है.
कोर्ट के आदेश पर सहायक निदेशक बेसिक व वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा संत कबीर नगर पेश हुए. हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची की नियुक्ति 15 मार्च 16 को हुई. 17 जुलाई 16 को ज्वाइन किया. शिकायत पर 7 अप्रैल 17 को जांच बैठाई गई और वेतन रोका गया. प्रबंध समिति के विज्ञापन पर याची की नियुक्ति की गई. बीएसए ने अनुमोदित कर दिया. 5 जून 18 को कूटकरण व धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है.