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प्रयागराज: माघ मेले में यह संस्था बनी मसीहा, एक दिन में 10 हजार श्रद्धालुओं का भरती है पेट

यूपी के प्रयागराज जिले में माघ मेले की शुरुआत हो गई है. इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु संगम नगरी पहुंच रहे हैं. वहीं इन श्रद्धालुओं के लिए एक संस्था मसीहा बनकर काम कर रही है, जो एक दिन में करीब 10 हजार श्रद्धालुओं का पेट भर रही है.

प्रयागराज माघ मेला
प्रयागराज माघ मेले में ॐ नमः शिवाय संस्था.

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Published : Jan 14, 2020, 5:56 AM IST

प्रयागराज:माघ मेले के शुभारंभ के साथ ही मेला क्षेत्र में अलग-अलग संस्थाओं का आगमन हो जाता है. कोई कल्पवासियों के लिए रुकने का व्यवस्था करती है तो कोई उनके खानपान के लिए इंतजाम. इसी तरह माघ मेला क्षेत्र में 'ॐ नमः शिवाय' संस्था गरीबों और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मसीहा बनकर काम करती नजर आ रही है.

एक दिन में 10 हजार लोगों को खिलाया जाता है खाना.

दरअसल संस्था द्वारा पूरे मेला क्षेत्र में 24 घण्टे भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. इस संस्था में 200 से अधिक शिष्य श्रद्धा भाव से कार्य कर दिन भर में 10 हजार से अधिक भूखे, गरीब और मजबूर का पेट भरने का काम करते हैं. संस्था में पुरुषों के साथ ही महिलाएं भी पूरे भाव के साथ काम करती हैं.

'श्रद्धालुओं के लिए चलता है 24 घंटे भंडारा'
'ॐ नमः शिवाय' संस्था के महंत रामगोपाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि हमारी संस्था जब तक माघ मेला चलेगा, तब तक गरीब, असहाय, साधु-संतों के साथ ही दूर-दराज से आने वाले महात्माओं को निःशुल्क भोजन की व्यवस्था करती है. हमारी संस्था में 200 से अधिक भक्त काम करते हैं और सभी का काम अलग-अलग होता है.

उन्होंने बताया कि माघ मेले में अलग-अलग चार जगह भंडारे का आयोजन हर दिन किया जाता है. पूरे मेला क्षेत्र में सुबह 7 बजे से लेकर रात तक भंडारे का आयोजन किया जाता है.

'एक साथ 10 हजार लोगों का बनता है खाना'
संस्था के महंत रामगोपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दिन में तीन बार खाना बनाया जाता है. सुबह श्रद्धालुओं के लिए नाश्ते का आयोजन किया जाता है. दोपहर और शाम को भोजन का आयोजन किया जाता है. हमारे यहां एक बार में 10 हजार श्रद्धालुओं के लिए खाना बनाया जाता है. इसके लिए बड़े-बड़े कड़वा का इंतजाम किया गया है. एक कड़वा में 10 से 12 हजार लोगों के लिए सब्जी तैयार किया जाता है. इसके साथ ही अलग-अलग खाने की सामग्री भी तैयार की जाती है.

'सुबह 5 बजे से तैयार किया जाता है खाना'
महंत रामगोपाल ने बताया कि सुबह 5 बजे संस्था के सभी सदस्य काम करना शुरू कर देते हैं. जहां महिलाएं सब्जी काटने का काम करती हैं तो वहीं पुरुष खाना तैयार करने का काम करते है तो वहीं कुछ लोग बर्तन धोने का काम करते हैं.

'हर दिन बनाए जाते हैं अलग-अलग पकवान'
संस्था के सदस्य दीपक सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्था का मुख्य उद्देश्य यही है कि माघ मेले में न कोई भूखा सोने पाए, न ही कोई भूखा जाने पाए और न ही कोई श्रद्धालु भूख की वजह से रोने पाए. इसी संकल्प के साथ माघ मेले में भंडारे का आयोजन दिन में तीन समय किया जाता है. हमारे यहां हर दिन अलग-अलग पकवान तैयार किए जाते हैं, जिसमें दाल कढ़ी, पूड़ी-सब्जी, खीर-पूड़ी, तहरी, सब्जी-रोटी, हलुआ-पूड़ी आदि शामिल है.

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'सेवा भाव से करते हैं काम'

संस्था की सदस्या ज्ञानू परिहार ने कहा कि हम सभी महिलाएं सेवा भाव से काम करते हैं. भगवान ने हमारे कष्ट दूर किए हैं, इसलिए अपने आप से यहां पर आकर गरीबों और असहाय श्रद्धालुओं के लिए खाना बनाते हैं. हमें यहां पैसे नहीं दिए जाते हैं और हम सभी निःशुल्क सेवा भाव के साथ काम करते हैं.

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