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न्यायविद हनुमान मंदिर मामला: प्रमुख सचिव और पीडीए उपाध्यक्ष से जवाब मांगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंबेडकर चौराहा सिविल लाइन स्थित न्यायविद हनुमान मंदिर ध्वस्तीकरण मामले को लेकर दाखिल याचिका पर न्याय विद मंदिर ट्रस्ट एवं उपाध्यक्ष पीडीए को पक्षकार बनाने की अनुमति दी है.

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Published : Feb 25, 2021, 10:22 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंबेडकर चौराहा सिविल लाइन स्थित न्यायविद हनुमान मंदिर ध्वस्तीकरण मामले को लेकर दाखिल याचिका पर न्यायविद मंदिर ट्रस्ट एवं उपाध्यक्ष पीडीए को पक्षकार बनाने की अनुमति दी है. साथ ही प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी विकास उप्र. एवं उपाध्यक्ष प्रयागराज विकास प्राधिकरण से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. याचिका की सुनवाई 18 अप्रैल को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राम चंद्र कश्यप व 5 अन्य की याचिका पर दिया. अधिवक्ता शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि मंदिर ट्रस्ट अस्तित्व में है या नहीं? और उपाध्यक्ष पीडीए से पूरी जानकारी मांगी है.

राज्य विधि अधिकारी कार्यालय में तकनीकी बेस सिस्टम की जानकारी मांगी

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता से जानकारी मांगी है कि क्या प्रयागराज और लखनऊ राज्य विधि अधिकारी कार्यालय में सूचनाएं आदान-प्रदान करने के लिए टेक्नालॉजी बेस सिस्टम लगा दिया गया है. क्या स्टॉफ की तैनाती कर दी गई है? यह जानकारी देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी और न्यायमूर्ति आरएन तिलहरी की खंडपीठ ने कुंवर राज सिंह व दो अन्य की याचिका पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने पर दिया है.

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याची का कहना है कि वह भूमि का स्वामी है और जिलाधिकारी अलीगढ़ उसे गांव सभा की मानकर कार्यवाही कर रहे है. तहसीलदार इकलास ने भी याची के खिलाफ कार्रवाई का आदेश जारी किया है. याची का कहना है कि भूमि स्वामित्व विवाद पर जिलाधिकारी को क्षेत्राधिकार नहीं है. याची की आपत्ति भी तय नहीं की जा रही है. हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से इस संबंध में जानकारी मांगी थी. डेढ़ माह बाद भी जानकारी नहीं दी, तो हाईकोर्ट ने पूछा कि पहले ही तकनीकी बेस सिस्टम बनाने का आदेश दिया था. क्या हुआ? और क्या स्थिति है. याचिका की सुनवाई 8 मार्च को होगी.

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