प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े अवमानना के एक मामले में नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी के नाम गैर जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट ने उन्हें पुलिस हिरासत में पेश करने का निर्देश दिया है. वारंट गौतमबुद्ध नगर के सीजेएम के मार्फत भेजकर तामिला कराने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने मनोरमा कुच्छल की अवमानना याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि क्या सीईओ की मर्जी से ही कोर्ट चलेगा. कोर्ट ने नोएडा की सीईओ को सुबह 10 बजे हाजिर होने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद उन्होंने एक ऐसी फ्लाइट चुनी जो दिल्ली से साढ़े दस बजे उड़ान भरेगी. कोर्ट ने इसे बेहद अशोभनीय माना. कहा, क्या न्यायालय उनकी सुविधा के हिसाब से काम करेगा.
एक संस्थान का मुख्य कार्यपालक अधिकारी यह चाहता है कि उसकी मर्जी से मुकदमे में सुनवाई की जाए. कोर्ट ने गत 28 अप्रैल के आदेश में ऋतु महेश्वरी से चार मई की सुनवाई में हाजिर होने को कहा था. उस दिन भी ऋतु महेश्वरी हाजिर नहीं हुईं. गत दिवस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो नोएडा के वकील ने कोर्ट को बताया कि ऋतु महेश्वरी फ्लाइट से आ रही हैं. उनकी फ्लाइट साढ़े दस बजे दिल्ली से उड़ान भरेगी. कोर्ट ने टिप्पणी की कि उन्हें दस बजे न्यायालय में हाजिर हो जाना चाहिए था. यह कोर्ट की अवमानना के दायरे में आता है. सीईओ ने जानबूझकर न्यायालय की अवमानना की है.
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नोएडा ने अवैधानिक रूप से याची की जमीन पर कब्जा कर लिया. उसे मुआवजे के तौर पर एक पैसा नहीं दिया गया. याची एक के बाद एक लगातार कोर्ट के सामने अपना हक मांग रहा है. नोएडा की सीईओ के खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू हुई. इसके बावजूद वह हाजिर नहीं हुईं. उनकी ओर से कहा जाता है कि वह जब तक नहीं आ जातीं तब तक मामले में सुनवाई न की जाए. कोर्ट मानती है कि नोएडा की सीईओ का यह व्यवहार जान-बूझकर न्यायालय का असम्मान करना है.
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा नोएडा ने वर्ष 1990 में याची की जमीन का अधिग्रहण किया था. अधिग्रहण के लिए उचित प्रक्रिया और कानून का पालन नहीं किया गया. प्राधिकरण ने तब भी याची की जमीन को अपने कब्जे में लिया. उस पर निर्माण भी कर दिया गया. यह पूरी तरह अवैधानिक है. याची को उसकी जमीन का उचित मुआवजा दिए बिना संपत्ति में बदलाव कर देना अवैधानिक है. नोएडा की सीईओ ऋतु महेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का यह पर्याप्त आधार है. मामले पर अगली सुनवाई 13 मई को होगी.
यह है मामला :नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लॉज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. वर्ष 1990 में मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अर्जेंसी क्लॉज के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. मनोरमा कुच्छल को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था.
इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर पांच-पांच लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ नोएडा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में भी अथॉरिटी मुकदमा हार गई. इसके बावजूद इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. इस पर मनोरमा कुच्छल ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ यह अवमानना याचिका की.
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