प्रयागराज:फाफामऊ श्मशान घाट (Phaphamau Crematorium) पर अप्रैल महीने में कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए मारामारी हो रही थी. लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था. पिछले महीने तक घाट पर दिन-रात शवों को जलाया जाता था, लेकिन अब इस घाट पर चिता की अग्नि शांत दिख रही है. दिन भर में अब तीन-चार शव ही पहुंच रहे हैं. अप्रैल से मई की शुरुआत तक जहां इस घाट पर चिताओं की भीड़ रहती थी, वहीं अब यहां सन्नाटा छाया हुआ है.
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एक दिन में पहुंचते थे 150 शव
फाफामऊ श्मशान घाट पर शवों को जलाने वाले नरेश का दावा है कि अप्रैल महीने में दिन भर में 150 से भी अधिक शव जलाए जाते थे और शव जलाने के लिए भी कई लोग लगे हुए थे. इतनी अधिक संख्या में चिताएं जलती थी कि लोगों के खड़े होने के लिए भी जगह कम हो जाती थी. मृतक के परिजनों के घंटों इंतजार करने के बाद शव का अंतिम संस्कार करने का नंबर आता था. कई बार तो इस घाट पर अंतिम संस्कार के लिए मारपीट तक की नौबत आ जाती थी, क्योंकि कोविड शव के साथ आने वाले लोग ज्यादा देर तक घाट पर रुकना नहीं चाहते थे. इंतजार करने की दशा में लोग मारपीट करने पर उतारू हो जाते थे.
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कोरोना संक्रमितों के साथ मरने वालों की संख्या भी हुई कम
प्रयागराज में बीते कई दिनों से संक्रमितों की संख्या 100 से भी कम हो गई है. इसके साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या घटकर 5 से कम हो गई है. मंगलवार और बुधवार को जिले में 50 से कम संक्रमितों के मिलने के साथ ही मरने वालों की संख्या 3 तक सिमट गई है, जिससे जिले के लोगों ने राहत की सांस ली है. फिलहाल जून माह की शुरुआत के साथ ही संक्रमितों और मृतकों की संख्या लगातार घट रही थी, जो अब पहले के मुकाबले काफी सुकून भरा है.
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घाट पर वसूले गए मनमाने पैसे
अप्रैल महीने के मध्य में जिस वक्त प्रयागराज में कोरोना (Corona in Prayagraj) चरम पर था, फाफामऊ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. पहले तो घाट तक शव ले जाने के बदले एम्बुलेंस वालों को हजारों रुपये देने पड़ते थे, वहीं घाट पर अंतिम संस्कार के बदले मुंहमांगी कीमत भी अदा करनी पड़ती थी. एम्बुलेंस ड्राइवरों की मनमानी और घाट पर अंतिम संस्कार करवाने की मनमानी वसूली की शिकायतें मिलने के बाद जिला प्रशासन को घाटों पर अंतिम संस्कार का रेट और एम्बुलेंस वालों का घाट तक का किराया तय करना पड़ा था, जिसके बाद लोगों को इनकी मनमानी वसूली से थोड़ी राहत जरूर मिल गई थी, लेकिन उसके बावजूद भी लोगों की मजबूरी का जमकर फायदा उठाया गया था.