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आदि विश्वेश्वर मंदिर मस्जिद विवाद मामले की 26 जुलाई को होगी अगली सुनवाई - adi vishweshwar temple mosque

काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद मामले की सुनवाई जारी है. मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी (Advocate Vijay Shankar Rastogi) का कहना है कि वक्फ कानून के प्रावधान केवल मुस्लिमों पर ही लागू होंगे. इस कानून में मुस्लिमों के आपसी विवाद ही तय किये जा सकते हैं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Jul 22, 2022, 8:02 PM IST

प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद मामले की सुनवाई जारी है. अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं. मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी (Advocate Vijay Shankar Rastogi) का कहना है कि वक्फ कानून के प्रावधान केवल मुस्लिमों पर ही लागू होंगे. इस कानून में मुस्लिमों के आपसी विवाद ही तय किये जा सकते हैं. वक्फ कानून हिंदुओं पर लागू नहीं होता.

उन्होंने कहा कि यदि वक्फ बोर्ड और गैर मुस्लिम के बीच विवाद हो तो हिंदू पक्ष को नोटिस देना जरूरी है. प्रश्नगत मामले में वादियों को नोटिस नहीं दी गई है. इसलिए विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जा सकती. रस्तोगी ने कहा कि 1995 के वक्फ कानून लागू होने के बाद संपत्ति वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हो या अपंजीकृत हो, दोनों स्थिति में दुबारा पंजीकृत करानी होगी. विवादित संपत्ति कभी भी वक्फ कानून में पंजीकृत नहीं हुई, इसलिए संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं हो सकती. रस्तोगी ने कहा कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया, किन्तु मस्जिद बनाने का आदेश नहीं दिया. क्योंकि इस्लामिक कानून के अनुसार विवादित जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती.

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मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर अवैध रूप से स्थानीय मुसलमानों ने मस्जिद का निर्माण किया है. औरंगजेब ने मालिकाना हक नहीं लिया. सतयुग से स्वयं भू आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर है. पूरी संपत्ति मूर्ति में निहित है. संपत्ति पर मंदिर का ही स्वामित्व है. इसलिए 1991 का कानून इस मामले में लागू नहीं होगा. उप्र काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983 में मंदिर की परिभाषा दी गई है. इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में वैध करार दिया है. इसलिए अवैध रूप से बनी मस्जिद या वक्फ का कोई अस्तित्व नहीं है.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि मंदिर पक्ष ने 1991 में वाद दायर किया था, जिसमें मस्जिद को स्वीकार किया है और वक्फ कानून 1995 में ही स्पष्ट किया है कि कानून लागू होने पर पहले से पंजीकृत संपत्ति का दुबारा पंजीकरण कराना जरूरी नहीं है. उन्होंने ने धारा 43 का जिक्र किया. जिसमें कहा गया है कि पहले से पंजीकृत संपत्ति डीम्ड पंजीकृत मानी जायेगी. नकवी ने काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983 के बारे में कहा कि यह मंदिर के बेहतर प्रबंधन का कानून हैं. इसका मस्जिद से कोई सरोकार नहीं है. समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी.

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