प्रयागराजःमां शक्ति की आराधना का पर्वचैत्र नवरात्रि आज यानी शनिवार से शुरू हो रहा है. इस दौरान देशभर में इन 9 दिनों में देवी मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां नव दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना और कलश स्थापना करते हैं. इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन का है. कलश स्थापना को लेकर मुहूर्त और सही विधि का विशेष ध्यान रखा जाता है.
इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिनों का है, जो कि 2 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल तक रहेगी. इस साल एक भी तिथि का क्षय नहीं हुआ है. खास बात है कि इन नौ दिनों में कई ऐसे योग बन रहे हैं, जो सर्व फलदायी हैं. सनानत धर्म में शक्ति आराधना के लिए घट या कलश की स्थापना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि कलश में जल एवं मिट्टी के पात्र में अनाज जो बोए जाते हैं वे सुख समृद्धि के सूचक माने जाते हैं. ऐसे में नौ दिनों तक पूजा-पाठ और कलश स्थापना कैसे करें? ये जानते हैं पंडित शिप्रा सचदेव से.
मां शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि चैत्र प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी एवं नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है. इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को हो रहा है. प्रतिपदा से लेकर के नवमी तक मां भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाएगी.
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नवरात्रि में घर पर माता की पूजन से पहले स्नान कर मंदिर की साफ-सफाई करें और लाल कपड़ा बिछाकर मां को उस लाला कपड़े पर स्थापित करें. माता रानी को नए वस्त्र, सिंगार का सामान, इत्र, हल्दी, कुमकुम और गुड़हल का फूल या लाल रंग का फूल चढ़ाएं.
एक कपड़े पर थोड़े से चावल रखें और एक मिट्टी के चौड़े बर्तन में जौ बो दें. अब इस पात्र में पानी से भरा कलश रख दें साथ ही कलश पर कलावा बांधे. इसके अलावा कलश में सुपारी, सिक्का, अक्षत डालें और इसमें अशोक के पत्ते या आम के पत्ते रखें और इसके ऊपर चुनरी लपेटकर एक नारियल रख दें. नारियल पर कलावा बांध लें नारियल को कलश पर रखते समय दीप जलाकर मां दुर्गा का आवाहन करें.
नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए सही तिथि और मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है. वैसे तो पूरे दिन भर कलश स्थापना की जा सकती है, लेकिन प्रतिपदा तिथि में ही कलश स्थापना का विशेष विधान है. घटस्थापना का शुभ मुहूर्त - 2 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक है. घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त - 2 अप्रैल को दोपहर 11 बजकर 40 से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
वहीं महाअष्टमी का व्रत 9 अप्रैल दिन शनिवार को किया जाएगा, फिर रामनवमी 10 अप्रैल दिन रविवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. इसके बाद नवरात्र व्रत का पारण 11 अप्रैल दिन सोमवार को दशमी तिथि को होगा. उन्होंने बताया कि पुराण के अनुसार नवरात्र में माता के आगमन और गमन के दौरान वाहन का विशेष महत्व होता है. इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आगमन शुभ नहीं माना जाता है. इस बार नवरात्र में माता की पूजा क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है. प्रत्येक दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी.
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