प्रयागराज: शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है. आज के दिन माता के सातवें स्वरूप माता काली की पूजा की जाती है. इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. दस महाविद्याओं में एक मां काली की उपासना बहुत ही सिद्ध मानी जाती है.
देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी-काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप का विधि पूर्वक दर्शन पूजन करने से सभी राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलने के साथ साथ व्यक्ति के शत्रुओं का नाश भी हो जाता है.
मां कालरात्रि का स्वरुप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार चण्ड-मुंड और रक्तबीज नाम के राक्षसों ने भूलोक पर हाहाकार मचा दिया था. तब मां दुर्गा ने चण्ड - मुंड का संहार किया, लेकिन जैसे ही उन्होंने रक्तबीज का संहार किया तब उसका रक्त जमीन पर गिरते ही हजारों रक्तबीज उतपन्न हो गए. तब रक्तबीज के आतंक को समाप्त करने हेतु मां दुर्गा ने मां कालरात्रि का स्वरुप धारण किया.
जानकारी देती ज्योतिषाचार्य, पंडित शिप्रा सचदेव नवरात्र के सातवें दिन साधक का मन ' सहस्त्रार' चक्र में स्थित होता है. इस दिन से ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियों सिद्धियों का द्वार खुला होता है. जो साधक विधिपूर्वक माता की उपासना करता है उसे यह सिद्धियां प्राप्त होती है.
मां कालरात्रि की पूजा विधिनवरात्रि के सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से साधक के समस्त शत्रुओं का नाश होता है. माता की पूजा पूर्णतया: नियमानुसार शुद्ध होकर एकाग्र मन से की जानी चाहिए. माता काली को गुड़हल का पुष्प अर्पित करना चाहिए. कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत से तिलक कर पूजन करना चाहिए और मां काली का ध्यान कर वंदना श्लोक का उच्चारण करना चाहिए. तत्पश्चात मां का स्त्रोत पाठ करना चाहिए. पाठ समापन के पश्चात माता को गुड़ का भोग लगाना चाहिए इसके पश्चात ब्राह्मणों को गुड़ दान करना चाहिए.
मां कालरात्रि के मंत्रओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: माता काली एवं कालरात्रि को गुड़हल का फूल बहुत पसंद है. इन्हें 108 लाल गुड़हल का फूल अर्पित करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जिन्हें मृत्यु या कोई अन्य भय सताता हो, उन्हें अपनी या अपने सम्बन्धी की लंबी आयु के लिए मां कालरात्रि की पूजा लाल सिन्दूर व ग्यारह कौड़ियों से सुबह प्रथम पहर में करनी चाहिए. मां कालरात्रि की इस विशेष पूजा से जीवन से जुड़े समस्त भय दूर हो जाएंगे.
वाराणसी जिले में भी प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है. सुबह से ही भक्त हाथ में फूल माला लिए लाइन में खड़े होकर मां के दर्शन कर रहे हैं.
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