प्रयागराज: जनकल्याण और विश्व कल्याण के लिए माघ मेले में खाख चौक स्थित बसे सन्यासियों का एक समूह कठिन तपस्या करते हैं. कम आयु से लेकर उम्रदराज तक सन्यासी कड़ी धूप में चारों तरफ अग्नि के बीचोंबीच बैठकर खुद को आंच में तपाते हैं. यह रोजाना तीन घंटे की पंचाग्नि तपस्या करते हैं. मेले में आने वाले श्रद्धालु सन्यासियों को देखकर दंग रह जाते हैं. चारों तरफ अग्नि के आंच पर बैठकर तपस्या करना किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होता है. पंचाग्नि तपस्या करने में कठिन नियमों का पालन करना होता है.
बसंत पंचमी से शुरू होती है कठिन तपस्या
सन्यासी अमर दास ने बताया कि विश्व कल्याण, जन कल्याण को लेकर यह पंचाग्नि तपस्या किया जाता है. यह तपस्या गर्मी माह के शुभारंभ के साथ ही बसंत पंचमी से तपस्या शुरू की जाती है. तपस्वी नगर में बसे सन्यासी सुबह से ही तपस्या करते हैं. साथ ही वे दोपहर तीन बजे तक मंत्रजाप के साथ तपस्या करते हैं. कोई सन्यासी तीन घंटे तक करता है तो कोई चार घंटे तक अग्नि के बीच बैठकर आंच से तपता है.
18 साल तक चलती है यह तपस्या
सन्यासी अमरदास ने जानकारी देते हुए बताया कि इस तपस्या को छह प्रकार से की जाती है. सभी प्रकारों को तीन-तीन साल किया जाता है. सभी नियमों के पालन करते हुए पंचाग्नि तपस्या 18 सालों में पूरा होता है. माघ माह में सभी तपस्वी संगम किनारे यह तपस्या करते हैं और माघ मेला समाप्त होने के बाद अपने-अपने आश्रम में करते हैं. गंगा दशहरा तक इसी तरह तपस्या जारी रहता है.