प्रयागराज: संगमनगरी प्रयागराज में बाहर से आए प्रवासी मजदूरों का बुरा हाल है. घर लौटे इन मजदूरों के सामने घर का खर्च चलाना चुनौती साबित हो रहा है. इन प्रवासी मजदूरों को जब मनरेगा में काम नहीं मिला तो, वे घर खर्च पूरा करने के लिए ईंट-भट्ठों पर काम करने को मजबूर हो गए. परिवार के साथ काम करने वाले मजदूर भट्ठों पर बिना किसी सुरक्षा जैसे मास्क के तपती धूप में मेहनत करते नजर आ रहे हैं. इससे इनके कोरोना से संक्रमित होने का भी खतरा है. वहीं दूसरी ओर श्रम विभाग अधिकारियों का दावा है कि सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को राहत राशि के साथ जनपद में काम भी दिया जा रहा है. हकीकत यह है कि सरकारी फाइलों में मजदूरों का नाम दर्ज तो है लेकिन धरातल काम दिख ही नहीं रहा है.
मनरेगा में नहीं मिला काम तो पहुंचे ईंट भट्टे पर
प्रवासी मजदूर रमेश ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि लॉकडाउन की वजह से बाहर काम नहीं रह गया था. ऐसे में हम मुंबई से अपने घर वापस आ गए हैं. यहां आने के बाद घर खर्च चलाने के लिए जब मनरेगा में काम करने के लिए गया तो वहां काम ही नहीं मिला. वहीं मनरेगा में दिनभर काम करने पर 201 रुपये ही मिलते हैं, जबकि ईंट-भट्ठे पर दिन भर में 500 रुपये की कमाई हो जाती है. मनरेगा में काम के लिए चक्कर लगाने से बेहतर है कि ईंट-भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूरी कर ली जाए.
मनरेगा की मजदूरी से नहीं चलता परिवार का खर्च
ईंट भट्ठे पर काम करने वाले एक अन्य मजदूर अमर सिंह ने बताया कि सरकार की योजना के तहत मनरेगा में हर किसी को काम नहीं मिलता है. वहीं अगर काम मिल भी जाए तो दिनभर में काम करने के बाद 201 रुपये ही मिलते हैं, लेकिन इतने पैसे में परिवार का खर्च पूरा नहीं होता है. ईंट भट्ठे पर काम करके दिनभर में 500 रुपये तक मिल जाते हैं. अमर सिंह ने बताया कि उसके परिवार में कुल 10 लोग हैं. परिवार का खर्च चलाने के लिए वह अकेला कमाता है. अमर सिंह की मानें तो ऐसी स्थिति में मनरेगा में काम करने से कोई फायदा नहीं है.
भारत के विभिन्न राज्यों से वापस आए प्रवासी श्रमिक
प्रयागराज मंडल में भारत के विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिक वापस आए हैं. प्रयागराज मंडल के चारों जिलों में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, मुंबई आदि तमाम जगहों पर लोग काम करते थे. इन सभी लोगों ने घर वापसी की है. इसके साथ ही यूपी के कई जिलों काम करने वाले भी श्रमिक भी वापस पहुंचे हैं. इन सभी मजदूरों को सरकार के नियमों अनुसार पहले क्वारन्टीन कराया गया, जिसके बाद ही इन्हें कहीं काम करने की अनुमति दी गई है.