प्रयागराज : संगम नगरी प्रयागराज का नाम दुनिया के प्राचीनत शहरों में शामिल है. ये शहर कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है. प्रयागराज के राष्ट्रीय संग्रहालय (Prayagraj National Museum) में कई ऐसी चीजें रखी हुई हैं. जिन्हें देकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. इन्हीं में से एक है मुगलकालीन (Maughal era) जम्बूराक बंदूक (Jamburak gun) और तोप के गोले (cannonballs). आने वाले दिनों में 17वीं शताब्दी की इस बंदूक (17th century gun)का वजन इतना है कि इसे उठाने में अच्छे और अच्छों के पसीने छूट जाएं. हालांकि अभी तक इलाहाबाद म्यूजियम (Allahabad Museum) में आने वाले लोग मुगलकाल की इस जम्बूराक बंदूक और तोप के गोले को नहीं देख सकते थे. लेकिन, अब जल्द ही यहां आने वाले सैलानी 17वीं-18वीं शताब्दी की जम्बूराक बंदूक और तोप के गोले देख सकेंगे.
प्रयागराज के राष्ट्रीय संग्रहालय में इस वक्त मुगलकालीन एक जम्बूराक बंदूक के साथ ही तोप के दो गोले रखे हुए हैं. ये बंदूक और तोप के गोले इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central University) के मध्यकालीन इतिहास विभाग (Medieval History Department) द्वारा म्यूजियम को भेंट स्वरूप दी गयी है. विश्वविद्यालय के मध्यकालीन इतिहास विभाग के तहखाने में मिली इस बंदूक और तोप के गोलों को वहां के विभागाध्यक्ष ने पिछले साल कार्यकारी वीसी रहे प्रोफेसर आर आर तिवारी से अनुमति लेकर संग्रहालय को दे दिया था.
पिछले साल इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मध्यकालीन इतिहास विभाग के तहखाने की सफाई के दौरान इतिहास के छात्रों को ये बंदूक और गोले मिले थे. जिसके बाद इसे उस वक्त विभाग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी को दिखाया गया. जिसके उन्होंने बंदूक और तोप के गोले की डिजाइन और मॉडल के आधार पर शोध शुरू किया तो जानकारी मिली कि ये बंदूक और गोले मुगलकाल के हैं. जिसके बाद इसे संरक्षित करने के लिए इलाहाबाद संग्रहालय को सौंप दिया गया.
जल्द ही आम लोग देख सकेंगे मुगलकालीन बंदूक और तोप के गोले
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने बताया कि इस बंदूक और गोले को संभाल कर रखने और उसकी बेहतर देखभाल के लिए संग्रहालय को दे दिया गया है. जो कि आने वाले दिनों में संग्रहालय में लोगों को दिखाने के लिए गैलरी में रखा जाएगा. इस वक्त इस संग्रहालय में आजाद गैलरी का निर्माण हो रहा है. जहां पर आने वाले दिनों में इस बंदूक और तोप के गोलों को रखा जाएगा.
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प्रयाग संग्रहालय या इलाहाबाद संग्रहालय के नाम से मशहूर प्रयागराज के राष्ट्रीय संग्रहालय भवन का आधारशिला 14 दिसंबर 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी. इसके बाद 1954 में ये म्यूजियम आम लोगों के लिए खोल दिया गया. इस संग्रहालय में कई कलाकृतियां और ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं संजोकर रखी गई हैं. यहां मौजूद कलाकृतियों और ऐतिहासिक वस्तुओं के महत्व को देखते हुए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इसे राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित कर दिया.