प्रयागराज:आज (10 फरवरी) मासिक शिवरात्रि है. इस दिन व्रत-पूजन करने का अलग ही महत्व है. हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है. माना जाता है कि प्राचीन काल से ही मासिक शिवरात्रि के दिन लोग व्रत करते आ रहे हैं. पुराणों में भी मासिक शिवरात्रि के व्रत का महत्व बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती ने भी शिवरात्रि का व्रत करके भगवान शिव का पूजन किया था. भगवान शिव के पूजन के लिए उचित समय प्रदोष काल में होता है. ऐसा माना जाता है कि शिव की अराधना दिन और रात्रि के मिलने के दौरान करना ही शुभ होता है. शिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति के अभिसरण का पर्व माना जाता है.
मासिक शिवरात्रि का महत्व
शिव के भक्त जहां साल में एक बार होने वाली महाशिवरात्रि बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं, वहीं मासिक शिवरात्रि पर भी भोलेनाथ की आराधना करने की परंपरा हैं. शिव पुराण के अनुसार इस दिन व्रत और भगवान शिव की आराधना करने से मनोमनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत करने से मुश्किलें दूर होने लगती हैं. कहा जाता है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं. इससे विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं. यह भी कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा व्यक्ति को हर तरह के कर्जों से मुक्ति दिलाती है. संतान प्राप्ति के लिए, रोगों से मुक्ति के लिए भी मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है.
ऐसे करें व्रत
इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं. श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए. मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें. पूजा के दौरान जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से रुद्राभिषेक करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल भी चढ़ाएं. शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा या शिव श्लोक का पाठ करें. इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें.