प्रयागराज:अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और संगम किनारे स्थित लेटे हनुमान मंदिर के महंत नरेन्द्र गिरि का शव सोमवार को उनके मठ बाघंबरी गद्दी स्थित कमरे में फंदे से लटकता हुआ मिला था. इसके साथ ही 6-7 पन्नों वाला सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. बताया जा रहा है उसी नोट में उन्होंने अपनी मौत के लिये अपने शिष्य रहे आनंद गिरि के साथ ही आद्या तिवारी और एक अन्य को जिम्मेदार बताया है. सुसाइड नोट के जरिये ही ये भी पता चला है कि हफ्ते भर पहले भी उन्होंने सुसाइड का प्रयास किया था. ये भी बताया जा रहा है कि इस सुसाइड नोट में उन्होंने अपने बाद किसको क्या जिम्मेदारी दी जाये इन बातों को भी जिक्र किया है. ताकि उनके न रहने पर किसी तरह का विवाद न हो.
वहीं दूसरी तरफ महंत नरेन्द्र गिरि को करीब से जानने वाले कुछ लोगों का यह भी कहना है कि महंत नरेन्द्र गिरी इतना लंबा चौड़ा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते थे. क्योंकि उन्हें जब भी कोई पत्र लिखवाना होता था तो वो बोलकर अपने शिष्यों से ही लिखवाते थे और उस पर दस्तखत करते थे. लेकिन दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि इस सुसाइड नोट को महंत नरेन्द्र गिरि ने कई बार में लिखकर पूरा किया है. बहरहाल इन सभी सवालों का सही जवाब सुसाइट नोट की सत्यता की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा.
हफ्ते भर पहले भी किया था सुसाइड का प्रयास
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि ने 20 सिंतबर से हफ्ते भर पहले यानी 13 सितंबर को भी सुसाइड करने का प्रयास किया था, लेकिन ऐन वक्त पर किसी कारण से उनका इरादा कमजोर हो गया और वो सफल नहीं हो सके. इस बार उन्होंने अपना इरादा मजबूत कर लिया था. जिस प्लास्टिक की रस्सी से उन्होंने आत्महत्या की है, उसे एक दिन पहले ही मंगवा कर रख लिया था. उन्होंने रस्सी किस इरादे से मंगवायी थी, इस बात की भनक उनके करीबी चेलों को भी नहीं लगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हफ्ते भर पहले भी उनका इरादा सुसाइड करने का था इस बात की जानकारी उनके सुसाइड नोट से ही मिली है.
तीन दिन पहले आद्या तिवारी से हुयी थी मठ में बहस
सूत्रों के मुताबिक, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि बीते कुछ दिनों से परेशान दिख रहे थे. लेकिन वो किस बात से परेशान थे इस बारे में उनके करीबियों को भी पता नहीं चला.मठ बाघंबरी में काम करने वालों सेवादारों के बीच चर्चा जरुर चल रही थी कि महंत नरेन्द्र गिरि किसी बात से परेशान हैं. इसी वजह से वो सेवादारों से भी कड़े शब्दों में बात-चीत करने लगे थे.
वहीं तीन दिन पहले मठ में पहुंचे मंदिर के मुख्य पुजारी रहे आघा तिवारी और महंत नरेन्द्र गिरि के बीच तीखी झड़प भी हुयी थी. दोनों के बीच विवाद बढ़ता देख वहां मौजूद लोगों ने आघा को शांत करवाया. जिसके बाद महंत नरेन्द्र गिरी ने लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आघा तिवारी को मठ से जाने को कह दिया था.
महंत नरेन्द्र गिरी सोमवार को नहीं गये थे लेटे हनुमान मंदिर
महंत नरेन्द्र गिरि सोमवार की सुबह लेटे हनुमान मंदिर में दर्शन पूजा और आरती करने भी नहीं गये थे. दोपहर के समय सोने जाने से पहले अपने शिष्यों को बताया था कि शाम को उनसे कोई मिलने आए तो उसे बैठा लेना, मैं जब बाहर आउंगा तभी मुलाकात करुंगा. शाम को पांच बजे तक वह कमरे से बाहर नहीं निकले. जिसके बाद शिष्यों ने उनके मोबाइल पर कॉल करना शुरु किया. कई बार कॉल करने के बाद भी जब फोन नहीं उठा तो शिष्यों ने जाकर कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई भी जवाब और आहट न मिलने के बाद शिष्यों ने पुलिस अफसरों को कॉल करने के बाद कमरे का दरवाजा तोड़ा. जिसके बाद अंदर का मंजर देख कर सभी हैरान रह गये. कमरे के अंदर पंखे से उनका शव लटक रहा था. जिसके बाद पहुंची पुलिस की मौजूदगी में फंदे से शव को नीचे उतारा गया.
शिष्य की तहरीर पर आनंद गिरी के खिलाफ दर्ज किया जायेगा मुकदमा
महंत नरेन्द्र गिरी के सुसाइड के बाद उनके पास से मिले सुसाइड नोट में आनंद गिरी और लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी रहे आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को मौत का जिम्मेदार बताया गया है. जिसके बाद देर रात महंत नरेन्द्र गिरि के दूसरे शिष्य अमर गिरि की तरफ से पुलिस की तहरीर दी गयी है. तहरीर में आनंद गिरि को महंत नरेन्द्र गिरी की मौत का जिम्मेदार बताया गया है. हालांकि देर रात पुलिस अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज किये जाने की पुष्टि नहीं की थी. जबकि उत्तराखंड से स्वामी आनंद गिरी को यूपी पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.साथ ही प्रयागराज में आद्या तिवारी को हिरासत में लेकर पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी थी.