प्रयागराज: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (narendra giri death news) की आत्महत्या से पूरे संत समाज में शोक की लहर है. महंत नरेन्द्र गिरी (Mahant Narendra Giri) संत समाज और सनातन धर्म की रक्षा के लिए किए गए प्रयास सराहनीय रहे हैं. प्रयागराज शहर के अलापुर में बाघम्बरी मठ (Baghambari Math) की जिम्मेदारी के साथ-साथ संत समाज कि भी जिम्मेदारी भी उन्होंने बखूबी निभाई. सनातन धर्म से लगाव और राजनीतिक गलियारों से जुड़ाव के चलते इनके द्वारा समय-समय पर दिए गए बयान भी सुर्खियों में रहे.
महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज जनपद के अंतर्गत पड़ने वाली फूलपुर तहसील के उग्रसेनपुर क्षेत्र के किसी गांव के रहने वाले थे. शुरुआत से ही इनको संतों से बड़ा लगाव था. जानकारी के मुताबिक गांव में जब कोई संत जाता था तो नरेन्द्र गिरि उनके साथ अपना काफी समय व्यतीत करते थे और धर्म, संस्कृति के बारे में जानकारी लेते रहते थे. सनातन संस्कृति और धर्म से जुड़ाव की वजह से ही नरेन्द्र गिरि युवावस्था में ही अपने गांव से निकलकर संतों की टोली में आ गए और किसी संत के संपर्क में आकर वह राजस्थान पहुंचे. वहां पर वह एक अखाड़े में रहकर संतों की सेवा में जुट गए. संतो के प्रति लगाव और सनातन धर्म के प्रति नरेन्द्र गिरि की सच्ची श्रद्धा संतों और महंतों को खूब भाई. राजस्थान में काफी समय बिताने के बाद वह वापस प्रयागराज आए और यहां पर निरंजनी अखाड़े से जुड़ गए.
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अखाड़े से जुड़ने जुड़ने के बाद नरेन्द्र गिरि ने प्रयागराज में मठों के उद्धार के लिए प्रयास शुरू कर दिए. बंधवा स्थित हनुमान मंदिर और बाघम्बरी मठ के पूर्व संचालक के स्वर्गवास के बाद लगभग दो दशक पहले बाघम्बरी मठ की जिम्मेदारी नरेंद्र गिरि को मिली. जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने असम के द्वारा संचालित संस्कृति स्कूलों में वैदिक शिक्षा गोशाला के निर्माण और सबसे महत्वपूर्ण प्रयागराज में हरपुर संत समाज को एक साथ जोड़कर सनातन धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य शुरु कर दिया.
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धर्म की रक्षा के साथ-साथ इनका राजनीति गलियारों से भी नाता रहा है. एक दशक पूर्व प्रयागराज के हंडिया विधानसभा के समाजवादी पार्टी के विधायक स्व. महेश नारायण सिंह की महंत से नजदीकियों के बाद पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के भी वह करीब रहे हैं. साधु संत की समस्याओं को लेकर सदैव आगे रहने वाले नरेंद्र गिरि धीरे-धीरे हिंदू धर्म से जुड़े. सभी संप्रदाय और धर्म की रक्षा के लिए बने अखाड़ों ने इन्हें अपना अगुआ मानते हुए सर्वसम्मति से अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष घोषित कर दिया. अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनने के बाद नरेन्द्र गिरि ने देश के कोने-कोने में रहने वाले साधु-संतों को एकत्र कर सनातन संस्कृति का प्रचार भी शुरू किया. नरेन्द्र गिरि ने प्रयागराज में आयोजित होने वाले विश्वस्तरीय माघ मेले, अर्धकुंभ और हाल ही में 2 वर्ष पहले संपन्न हुए कुंभ मेले में देश-विदेश से आए हुए साधु-संतों का कुशल नेतृत्व भी किया.