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जानिए महंत गिरि ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल, क्या है इसके पीछे का राज - अमेठी से आए संत मौनी बाबा

अमेठी से आए मौनी बाबा ने सुसाइड नोट में नींबू के पेड़ के नीचे समाधि बनाए जाने के संबंध में रोचक बात बताई. कहा कि जो संत यह इच्छा जाहिर करे कि नींबू के पेड़ के नीचे उनकी समाधि बनाई जाए तो इसका मतलब यह है कि उनके पीछे कई षड्यंत्रकारी लगे हैं. वह संत को परेशान कर रहे हैं.

जानिए महंत गिरी ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल
जानिए महंत गिरी ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल

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Published : Sep 22, 2021, 12:47 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 1:22 PM IST

प्रयागराज :अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव पोस्टमार्टम के बाद बाघम्बरी मठ लाया गया. यहां पूरी रीति-रिवाजों के साथ तेरह अखाड़ों ने पूजन अर्चन किया. वहां उपस्थित साधु संत और उनके शिष्य शव यात्रा में शामिल हुए और उनको अंतिम विदाई दी. फिर शव यात्रा संगम के लिए रवाना हो गई.

जानिए महंत गिरी ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल, क्या है इसके पीछे का राज

पोस्टमार्टम के बाद नरेंद्र गिरि का शव बाघम्बरी गद्दी पहुंचा. शव के वहां पहुंचते ही वहां उपस्थित साधु-संतों और भक्तों की आंखें नम हो गईं. लोगों ने उनकी शव यात्रा को अंतिम विदाई देते हुए श्रद्धांजलि दी. यात्रा सीधे संगम के लिए रवाना हो गई. उसके बाद उन्हें लेटे हनुमान जी के मंदिर ले जाया गया. यहां महंत नरेंद्र गिरि ने लेटे हनुमान जी की कई वर्षों सेवा की थी.

वहीं, अमेठी से आए संत मौनी बाबा ने उनके सुसाइड नोट पर लिखे नीबू के पेड़ के नीचे समाधि बनाए जाने के संबंध में रोचक बात बताई. कहा कि जो संत यह इच्छा करे कि नींबू के पेड़ के नीचे उनकी समाधि बनाई जाए तो इसका मतलब यह है कि उनके पीछे कई षड्यंत्रकारी लगे हैं. वह संत को परेशान कर रहे हैं. ऐसा करने के बाद उनके शत्रुओं का विनाश शुरू हो जाता है.

यह भी पढ़ें :बाघम्बरी मठ में महंत नरेंद्र गिरी का भू-समाधि स्थल तैयार, देखें वीडियो

शिवयोगी मौनी बाबा ने कहा की समाधि उन सन्यासियों की होती है जो संन्यास लेने के बाद अपना पिंडदान उसी समय कर देते हैं. मरने के बाद उनको जलाया नहीं जाता. या तो भू-समाधि दी जाती है या जल समाधि की प्रक्रिया होती है. गड्ढे में पूजन करके उनको समाधि देते हैं. एक मूर्ति की तरह भक्त उनकी पूजा करते हैं.

जानिए महंत गिरी ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल, क्या इसके पीछे का राज

यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है. कहा कि एक सन्यासी की शव यात्रा तीर्थ यात्रा है. भगवान की कृपा के बाद एक वर्ष में समाधि पूर्ण रूप से स्थापित हो जाएगी.

बताया कि तंत्र की मान्यता है कि नींबू शत्रुनाशक है. यही वजह है कि महंत नरेंद्र गिरि ने मठ बाघम्बरी गद्दी में अपनी समाधि बनाने के लिए उसी स्थान को चुना जहां नींबू का पेड़ लगा हुआ था.

नींबू के पेड़ के नीचे बनती है शत्रु नाशक समाधि

मौनी बाबा ने बताया कि नीबू के पेड़ के नीचे शत्रु नाशक समाधि बनायी जाती है. जिन शत्रुओं की वजह से महंत नरेंद्र गिरि की जान गयी, उन सभी को सजा देने के लिए ही मठ में नींबू के पेड़ के नीचे समाधि बनायी जा रही है. समाधि के तैयार होने के बाद यहां दर्शन करने आने वाले भक्तों के शत्रुओं का भी विनाश होगा.

बताया कि 10×10 और 12×12 फ़ीट की समाधि बनाई जाती है. तीन स्क्वायर फ़ीट का स्थान बनाया गया है जहां उनके पार्थिव शरीर को पद्मासन या सिद्धासन अवस्था में स्थापित किया जाएगा. इसके ऊपर शिवलिंग और उनकी मूर्ति भी स्थापित की जाएगी.

समाधि को कलकत्ता, वाराणसी और प्रयागराज से लाए गए फूलों से सजाया जा रहा है. समाधिस्थल की सजावट करने वाले ठेकेदार ने बताया कि आज तक प्रयागराज में इस तरह से किसी भी समाधिस्थल की सजावट नहीं की गई है. सजावट मंगलवार से चल रही है. 15 मजदूर लगातार समाधिस्थल की सजावट में जुटे हैं.

Last Updated : Sep 22, 2021, 1:22 PM IST

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