प्रयागराज:संगम नगरी में गंगा के तट पर स्थित प्राचीन नागवासुकि मंदिर में 'नाग पंचमी' के दिन मेला लगता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मंदिर में वासुकी नाग का दर्शन करने मात्र से सर्पदोष से राहत मिल जाती है. यही वजह है कि पौराणिक महत्व वाले इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यह भी मान्यता है कि इस मंदिर में विधि विधान के साथ वासुकी नाग का दर्शन पूजन करते हैं तो काल सर्प दोष के साथ ही सभी प्रकार के सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
तीर्थराज प्रयाग में वासुकी नाग का सबसे प्राचीन मंदिर है. पुराणों और शास्त्रों में वर्णित इस मंदिर में नागों के राजा वासुकी का पूजा पाठ की जाती है. नाग पंचमी के दिन यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है और लाखों की संख्या में श्रद्धालू इस मंदिर में पहुंचकर पूजा पाठ करते हैं. ऐसी मान्यता है की इस मंदिर में पूजा पाठ करने से काल सर्प दोष के साथ ही सभी तरह की सर्प बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं.
सदियों पहले स्थापित हुआ था मंदिर
नागों के राजा वासुकी के प्रयागराज में स्थापित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि समुद्र मंथन में वासुकी नाग का इस्तेमाल रस्सी के रूप में किया गया था. समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग की मंदराचल पर्वत से हुए रगड़ और घर्षण के कारण उनके शरीर में अत्यधिक जलन होने लगी थी. जिसके बाद जलन से मुक्ति का उपाय जानने के लिए वासुकी भगवान श्री विष्णु और महादेव की शरण में गए. जहां से उन्हें प्रयागराज में जाकर सरस्वती के जल का पान करके गंगा तट पर विश्राम करने की सलाह दी गई. जिसके बाद वासुकी ने सरस्वती का जल ग्रहण करने के बाद गंगा तट पर आराम करने लगे और इसके बाद देवताओं ने वासुकी से इसी स्थान पर रहकर मनुष्यों के कष्टों का निवारण करने की विनंती की. जिसके बाद वासुकी प्रयागराज में इस स्थान पर स्थापित हो गए और तभी से यह मंदिर बना हुआ है. इसके साथ ही भगवान ने उन्हें यह आशीर्वाद भी दिया कि तीर्थ राज प्रयागराज के दर्शन का फल वासुकी नाग का दर्शन करने के बाद ही पूर्ण रूप से मिलेगा. इसके साथ ही नाग पंचमी के दिन तीनों लोक में उनकी व उनके सेना की पूजा की जाएगी.
भगवान शंकर के गले मे विराजमान रहते हैं वासुकी नाग
वासुकी नाग का ये प्राचीन मंदिर संगम नगरी में त्रिवेणी संगम के नजदीक दारागंज इलाके में गंगा के तट पर स्थापित है. इस मंदिर में वासुकी नाग की आदमकद प्रतिमा है, जिसकी लोग विधि विधान के साथ उपासना करते हैं. इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर दूध और जल चढ़ाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं. इसके अलावा स्थानीय लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन वासुकी नाग का दर्शन पूजन करने से घर में सर्प निकलने की संभावना समाप्त हो जाती है. सावन के महीने में इस मंदिर में नागों के राजा की पूजा अर्चना करने का फल मिलता है. इस वजह से पूरे सावन माह के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. साथ यह भी मान्यता है कि वासुकी नाग की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.
कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति
नाग वासुकी मंदिर और उसकी महिमा का वर्णन पद्म पुराण के साथ ही दूसरे पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान किया जाता है. सावन के महीने में काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए दूर-दूर से लोग आकर इस मंदिर में अनुष्ठान करते हैं. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यहां पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अनुष्ठान करने से काल सर्प दोष से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाती है.
प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा में शामिल है नागवासुकी मंदिर
संगम नगरी में आने वाले जो भी श्रद्धालु त्रिवेणी स्नान के बाद प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा करते हैं. उसमें नागवासुकि मंदिर भी शामिल है. प्रयागराज के 5 नायकों में एक नागवासुकी है. जबकि उनके अलावा, वेणीमाधव, सोमेश्वर महादेव और अक्षयवट के साथ ही भारद्वाज आश्रम शामिल है. त्रिवेणी स्नान के बाद इन पांचों मंदिरों का दर्शन पूजन करने के बाद ही प्रयागराज की परिक्रमा का पूर्ण फल प्राप्त होता है. इसी वजह से इस मंदिर में साल भर देश के कोने कोने से भक्त दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं.
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