प्रयागराज: हिंदू धर्म में भगवान से जुड़ी कई ऐसी मान्यताएं हैं, जिसके बारे में लोग शायद कम ही जानते हैं. वैसे तो आज के इस दौर में भगवान के दिव्य दर्शन हो पाना नामुमकिन हैं, लेकिन उनके चमत्कार आज भी हमें उनकी मौजूदगी का एहसास कराते हैं. एक ऐसा ही चमत्कार आप धर्म और अध्यात्म की नगरी प्रयागराज के संगम तट पर स्थित लेटे यानी बड़े हनुमान जी मंदिर में देख सकते हैं, जहां भक्तों को उनकी मौजूदगी का एहसास होता है.
लेटे हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर. बता दें कि हनुमान जी का मंदिर विश्व के कई देशों में है, लेकिन प्रयागराज में दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जिसमें हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई है. गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल से तकरीबन 800 मीटर की दूरी पर स्थित ये मंदिर एक बांध पर स्थित है. इसीलिए इसे बंधवा हनुमान जी का मंदिर भी कहा जाता है. कुछ लोग इसे बड़े हनुमान जी का मंदिर या लेटे हनुमान जी का मंदिर के नाम से भी जानते हैं.
पौराणिक कथाओं में लेटे हनुमान जी के मंदिर को लेकर कई ऐसी मान्यताएं जुड़ी हैं, जो काफी हैरान कर देने वाली हैं. बता दें कि संगम तट पर स्थित ये मंदिर काफी पुराना है. इसके अलावा इस मंदिर में आज भी चमत्कार देखने को मिलते हैं, जहां लेटे हनुमान जी को गंगा मैया स्वंय स्नान कराने आती हैं. प्रतिवर्ष गंगा मैया मंदिर से काफी दूर रहते हुए भी लेटे हनुमान जी को दर्शन और स्नान कराकर ही वापस जाती हैं.
श्रद्धालुओं का कहना है कि इस मंदिर में हनुमान जी को हर साल गंगा जी खुद स्नान कराने आती हैं. दरअसल, जब गंगा में बाढ़ आती है तो बाढ़ का पानी लेटे हनुमान जी के मंदिर तक भी पहुंचता है. यह अद्भुत नजारा देखने के लिए शहर के ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी श्रद्धालु मंदिर के परिसर में इकट्ठा होते हैं. मान्यता है जिस समय गंगा के आसपास स्थित गांव में पानी भर जाता है और गंगा पूरे उफान पर रहती हैं, उस समय लेटे हनुमान जी के मंदिर में भी पानी भर जाता है. जब गंगा का पानी हनुमान जी की मूर्ति को छूता है तो उसके बाद बाढ़ का पानी खुद-बखुद घटने लगता है.
पुराणों में भी इस मंदिर का उल्लेख है. लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम संगम स्नान करने यहां आए थे. उस समय उनके प्रिय भक्त हनुमान किसी शारीरिक पीड़ा से यहां गिर पड़े थे. तब माता जानकी ने अपने सिंदूर से उन्हें नया जीवन देते हुए हमेशा आरोग्य और चिरायु रहने का आशीर्वाद दिया था. तभी से यहां मंदिर में हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की भी परंपरा है और इसीलिए हनुमान जी यहां लेटे हुए अवस्था में हैं.
इतिहास में दर्ज बातों पर गौर किया जाए तो यह मंदिर सन 1787 में बनवाया गया था. मंदिर के अंदर तकरीबन 20 फुट लंबी हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति है. इस मूर्ति के पास ही श्रीराम और लक्ष्मण जी की भी मूर्तियां हैं. संगम के किनारे बने इस मंदिर की आस्था दूर-दूर से भक्तों को यहां खींच लाती है. प्रयागराज प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए भी जाना जाता है. लोगों का मानना है कि लेटे हनुमान जी का दर्शन करने वाले छात्रों को जरूर सफलता मिलती है.
वहीं इस समय जिस तरह से गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही गंगा मैया लेटे हनुमान जी को स्नान कराएंगी. मंदिर के महंत व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज का कहना है कि देश पर किसी भी प्रकार की समस्या या महामारी फैलती भी है तो गंगा मैया के लेटे हनुमान जी को स्नान कराने के बाद वह महामारी या देश पर परेशानी दूर हो जाती है. जब गंगा मैया लेटे हनुमान जी को स्नान करा देंगी तब कोरोना जैसी महामारी भी इस देश से चली जाएगी.