प्रयागराज : माघ मेले में गुरुवार को पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही एक माह का कल्पवास शुरू हो जाएगा. एक महीने तक कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला भी तेज हो गया है. आसपास के जिलों से आने वाले कल्पवासी ट्रैक्टर व अन्य साधनों के जरिए मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. वहीं मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वे मां गंगा की गोद में आए हैं, जहां उन्हें किसी महामारी का कोई भय नहीं है, लेकिन उसके बावजूद वे कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए कल्पवास को पूरा करेंगे.
पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा कल्पवास, आने लगे कल्पवासी
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में चल रहे माघ मेले में पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही कल्पवास शुरू हो जाएगा. इसको देखते हुए माघ मेले में कल्पवासियों के आने का सिलसिला भी तेज हो गया है. आसपास के जिलों से आने वाले कल्पवासी ट्रैक्टर व अन्य साधनों के जरिए मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं.
27 फरवरी को पूरा होगा कल्पवास
एक महीने तक गंगा के तट की रेती पर तंबुओं में रहकर श्रद्धालु अपना कल्पवास का व्रत पूरा करेंगे. 27 फरवरी को माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व पर एक महीने का कल्पवास पूरा होगा. मेला क्षेत्र में आने वाले कल्पवासी गुरुवार से एक महीने तक नित्य जप तप और भजन कीर्तन करते हुए कल्पवास करेंगे.
12 वर्षों तक कल्पवास करने की है परंपरा
12 साल तक लगातार गंगा किनारे रहकर कल्पवास करने पर कल्पवास का संकल्प पूरा होता है. माघ मेले में आने वाले कल्पवासी लगातार 12 वर्षों तक एक महीने के इस व्रत को जब पूरा करते हैं, तब उनका कल्पवास का अनुष्ठान पूरा माना जाता है. कल्पवास का व्रत करने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को लगातार 12 वर्षों तक संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में आकर एक महीने तक कल्पवास करना होता है. 12 वर्ष का कल्पवास पूरा होने के बाद श्रद्धालु शैया दान करने के साथ कल्पवास के व्रत की पूर्णाहुति करते हैं. एक बार 12 वर्षों का कल्पवास पूरा करने के बाद भी बहुत से श्रद्धालु शक्ति होने पर पुनः कल्पवास का अनुष्ठान व्रत करते रहते हैं.