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पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा कल्पवास, आने लगे कल्पवासी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में चल रहे माघ मेले में पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही कल्पवास शुरू हो जाएगा. इसको देखते हुए माघ मेले में कल्पवासियों के आने का सिलसिला भी तेज हो गया है. आसपास के जिलों से आने वाले कल्पवासी ट्रैक्टर व अन्य साधनों के जरिए मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं.

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पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा कल्पवास.

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Published : Jan 27, 2021, 4:11 PM IST

प्रयागराज : माघ मेले में गुरुवार को पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही एक माह का कल्पवास शुरू हो जाएगा. एक महीने तक कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला भी तेज हो गया है. आसपास के जिलों से आने वाले कल्पवासी ट्रैक्टर व अन्य साधनों के जरिए मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. वहीं मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वे मां गंगा की गोद में आए हैं, जहां उन्हें किसी महामारी का कोई भय नहीं है, लेकिन उसके बावजूद वे कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए कल्पवास को पूरा करेंगे.

कल्पवासियों के आने के सिलसिला हुआ तेज.

27 फरवरी को पूरा होगा कल्पवास
एक महीने तक गंगा के तट की रेती पर तंबुओं में रहकर श्रद्धालु अपना कल्पवास का व्रत पूरा करेंगे. 27 फरवरी को माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व पर एक महीने का कल्पवास पूरा होगा. मेला क्षेत्र में आने वाले कल्पवासी गुरुवार से एक महीने तक नित्य जप तप और भजन कीर्तन करते हुए कल्पवास करेंगे.

12 वर्षों तक कल्पवास करने की है परंपरा
12 साल तक लगातार गंगा किनारे रहकर कल्पवास करने पर कल्पवास का संकल्प पूरा होता है. माघ मेले में आने वाले कल्पवासी लगातार 12 वर्षों तक एक महीने के इस व्रत को जब पूरा करते हैं, तब उनका कल्पवास का अनुष्ठान पूरा माना जाता है. कल्पवास का व्रत करने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को लगातार 12 वर्षों तक संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में आकर एक महीने तक कल्पवास करना होता है. 12 वर्ष का कल्पवास पूरा होने के बाद श्रद्धालु शैया दान करने के साथ कल्पवास के व्रत की पूर्णाहुति करते हैं. एक बार 12 वर्षों का कल्पवास पूरा करने के बाद भी बहुत से श्रद्धालु शक्ति होने पर पुनः कल्पवास का अनुष्ठान व्रत करते रहते हैं.

कल्पवासी.
मोह माया से दूर रहकर करते हैं कल्पवास
घर परिवार की मोह माया छोड़कर श्रद्धालु एक महीने तक रेती पर बसे इस शहर में रहकर कल्पवास करते हैं. पारिवारिक और सांसारिक मोह माया को त्याग कर श्रद्धालु एक महीने तक अपना ध्यान सिर्फ पूजा पाठ में लगाते हैं. यहां पर तंबू में रहकर नित्य गंगा स्नान के साथ ही भजन-कीर्तन करते हुए कल्पवास किया जाता है. इस दौरान श्रद्धालु अपनी शक्ति के अनुसार रहन सहन और खान पान करते हैं.
कल्पवास के व्रत को पूरा करना है चुनौती
मेला क्षेत्र में कल्पवास करने पहुंचने वाले कल्पवासियों का कहना है कि कल्पवास के लिए उन्होंने 12 वर्ष का संकल्प लिया है. कल्पवास के संकल्प को पूरा करने के लिए उन्हें लगातार 12 वर्षों तक मेला क्षेत्र में आना होगा. मेला क्षेत्र में पहुंचे कई ऐसे कल्पवासी हैं, जिनका 8 साल या उससे ज्यादा का कल्पवास पूरा हो चुका है तो ऐसे में वे श्रद्धालु बीच में कल्पवास के व्रत को तोड़ नहीं सकते. इसी वजह से वे कोरोना महामारी के खतरे के बावजूद मेला क्षेत्र में पहुंचे हैं और अपना कल्पवास पूरा करेंगे. हालांकि उन श्रद्धालुओं का यह भी कहना है कि वह महामारी से बचने के सभी उपायों को करने के साथ ही सरकारी गाइडलाइन का भी पालन करेंगे. जिससे कि न तो उनका कल्पवास का संकल्प खंडित हो और न ही वो कोरोना महामारी की चपेट में आएं.
मां गंगा की आस्था से हारेगी कोरोना महामारी
कोरोना महामारी के इस दौर में भी लोग अपने घरों को छोड़कर संगम किनारे बसे माघ मेला में कल्पवास करने पहुंच रहे हैं. कल्पवास करने प्रयागराज पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मां गंगा पर पूरा विश्वास है और उनका कहना है कि वो मां गंगा के भरोसे कल्पवास करने आए हैं. मां गंगा ही उन्हें कोरोना व सभी तरह की महामारियों से बचाएंगी, लेकिन कल्पवासी कल्पवास के दौरान सरकार की जो भी गाइड लाइन हैं, उसका भी पालन करेंगे. मास्क भी लगाएंगे और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखेंगे.

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