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जब कैलाश सत्यार्थी ने कहा.... बेटियों में अगर डर रह गया तो हमारे माथे पर एक कलंक है - कैलाश सत्यार्थी दो दिवसीय दौरे पर प्रयागराज पहुंचे

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में नगारिक मंच सम्मान समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने शिरकत की. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर एक भी बच्चे या बेटियों में डर रह गया तो यह समझे कि हमारे माथे पर एक कलंक है.

कैलाश सत्यार्थी दो दिवसीय दौरे पर प्रयागराज पहुंचे

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Published : Sep 5, 2019, 11:42 AM IST

प्रयागराज : नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी दो दिवसीय दौरे पर प्रयागराज पहुंचे. प्रयागराज नागरिक मंच सम्मान समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस कार्यक्रम में कई विशिष्ट अतिथि भी मौजूद रहे.

कैलाश सत्यार्थी दो दिवसीय दौरे पर प्रयागराज पहुंचे.

कार्यक्रम के दौरान कैलाश सत्यार्थी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की धरती 100 समस्याओं की धरती है पर उन्हीं 100 समस्याओं में डेढ़ अरब लोगों का समाधान भी छुपा है. भारत का हर नागरिक ऐसी हर समस्या के समाधान की जननी है. जरूरत है कि बस सच्ची लगन से आगे आएं और अपना प्रयास शुरू करें. इसी दौरान प्रयागराज एकता मंच के द्वारा वर्तमान समाज सेवी संगठनों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर इलाहाबाद और फूलपुर संसदीय सीट के सांसद केसरी देवी पटेल और रीता बहुगुणा जोशी ने भी अपने वक्तव्य दिए.

बच्चों में डर रह गया तो हमारे माथे पर कलंक रह जाएगा

पांच साल पहले मुझे नोबेल पुरस्कार मिला और इन पांच सालों में मैं जगह-जगह भ्रमण करता रहा, लेकिन प्रयागराज पहुंचने के बाद जो सुकून मिला है वह कहीं नहीं है. प्रयागराज की हवा पानी एक सुखद एहसास दिलाती है. युवकों और आम नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि प्रयागराज को बाल श्रम से मुक्त करें और यहां पर ऐसा माहौल बनाये कि जब भी कोई महिला रात को भी कहीं निकले तो उसे महसूस हो कि वह सुरक्षित है. अगर एक भी बच्चे या बेटियों में डर रह गया तो यह समझे कि हमारे माथे पर एक कलंक है. इसे मिटाने के लिए आपको आगे आना पड़ेगा. प्रयागराज को बाल मित्र प्रयागराज बनाएं.

हम संविधान में फंडामेंटल राइट की बात करते हुए आगे तो आ जाते हैं, लेकिन फंडामेंटल ड्यूटीज की ओर नहीं बढ़ते हैं आज जरूरत है सभी को अपनी ड्यूटी पहचानने की और उसे करके दिखाने की, जिससे समाज में एक सकारात्मक भाव लाया जा सके.
-अरुण टंडन, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, हाईकोर्ट

कैलाश सत्यार्थी जी आज हमारे बीच में हैं, यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है. इन्होंने बाल श्रम को लेकर जो बीड़ा उठाया है उसमें हम सभी को आगे आना पड़ेगा. मुझे यह विश्वास है कि आप लोग में यह क्षमता है और इसे आप कर दिखा सकते हैं.
-केसरीनाथ त्रिपाठी, पूर्व राज्यपाल, प. बंगाल

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