प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में मिट्टी के खिलौने और बर्तन बनाने वाले कुम्हारों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने उन्हें इलेक्ट्रॉनिक चाक दी है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के बर्तन खिलौने बनाने वाले कुम्हारों की परेशानी बढ़ गयी है. कुम्हारों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक चाक का इस्तेमाल करना उन्हें महंगा पड़ रहा है. क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक चाक चलाने पर बिजली का बिल काफी ज्यादा आता है. जिस वजह से कुम्हार इलेक्ट्रॉनिक चाक का इस्तेमाल कम करते हैं.
जिन कुम्हारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक मिला है वो बिजली के ज्यादा बिल की वजह से ही चाक का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं. दीपावली या किसी दूसरे पर्व पर कुछ दिन इलेक्ट्रॉनिक चाक का इस्तेमाल कर लेते हैं. बाकी साल भर इलेक्ट्रॉनिक चाक को रख देते हैं. कुम्हारों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक चाक के इस्तेमाल से माल तो ज्यादा बनता है. लेकिन बिजली का बिल ज्यादा आने से ज्यादा माल बनाने का कोई खास लाभ नहीं मिलता है. इसी वजह से ज्यादातर कुम्हार इलेक्ट्रॉनिक चाक का प्रयोग बहुत कम करते हैं.
बताया ये भी जा रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक चाक के इस्तेमाल के बाद बढ़े हुए बिजली के बिल की डर की वजह से ही बहुत से कुम्हारों ने इलेक्ट्रॉनिक चाक लिया ही नहीं है. जबकि बहुत से कुम्हार ऐसे भी हैं, जिन्हें अभी तक सरकार की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक चाक नहीं मिल पाया है. ऐसे कुम्हार आज भी सरकार की तरफ से मिलने वाले इलेक्ट्रॉनिक चाक का इंतजार कर रहे हैं. कुम्हारों का कहना है कि आम दिनों में इलेक्ट्रॉनिक चाक का इस्तेमाल नहीं करते हैं. लेकिन कुल्हड़ या मिट्टी के दीये का बड़ा ऑर्डर मिलता है तो उसे समय से पूरा करने के दौरान कुम्हार इस इलेक्ट्रॉनिक चाक का इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन आम दिनों की तरह मिट्टी के कुल्हड़ प्याले व दीये बनाने के दौरान परम्परागत चाक का ही इस्तेमाल किया जाता है.