उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

By

Published : Sep 19, 2019, 9:45 PM IST

ETV Bharat / state

...जानिए क्यों महत्वपूर्ण है प्रयागराज में पिंडदान और मुंडन

धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज हमेशा से देवताओं और ऋषि-मुनियों के लिए तपस्थली रही है. मान्यता है कि यहां पर जप और तप से किसी भी मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष में यहां पर आकर मुंडन कराने के बाद पिंडदान करने से पितरों को इस मृत्युलोक से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है.

पिंडदान करते श्रद्धालु.

प्रयागराज: प्रयागराज में पिंडदान करने का पौराणिक महत्व है. धार्मिक ग्रंथो में इस पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध, तर्पण और मुंडन का विशेष महत्व है. संगम तीरे केस दान और पिंडदान करने का जो पुण्य लाभ है वह किसी अन्य स्थान पर नहीं है. इसीलिए कहा गया है प्रयाग मुंडे काशी ढूंढे और गया पिंडे. यहां पर केशदान करने से सौ गायों के दान का पुण्य मिलता है.

पिंडदान के बारे में जानकारी देते तीर्थ पुरोहित अनिल कुमार मिश्रा.

क्या है मान्यता
हमारे धर्म शास्त्र में भगवान विष्णु को मोक्ष का देवता माना जाता है. प्रयागराज में भगवान विष्णु 12 स्वरूपों में विराजमान हैं. भगवान विष्णु यहां पर माधव के नाम से जाने जाते हैं. मान्यता है कि त्रिवेणी में भगवान विष्णु बालमुकुंद स्वरूप में वास करते हैं. हमारे धर्म शास्त्रों में प्रयाग को पितरों की मुक्ति का पहला सबसे प्रमुख द्वार माना जाता है.

मुक्ति का दूसरा काशी और गया को मुक्ति का अंतिम द्वार कहा जाता है. यहां पर श्राद्ध कर्म का आरंभ मुंडन संस्कार से होता है और मुंडन संस्कार के दौरान यहां पर पहले बालों का दान किया जाता है. देश के कोने कोने से आने वाली महिलाएं भी यहां अपने बालों का दान करती हैं.

पितरों के मोक्ष के लिए करते हैं पिंडदान
जब कोई व्यक्ति पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करने के लिए गया की यात्रा करता है तो वह सबसे पहले प्रयागराज में पिंड दान करता है. धार्मिक महत्व के चलते पितृपक्ष के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु पिंडदान के लिए यहां पर आते हैं और अपने पितरों की मुक्ति के लिए मोक्ष की कामना करते हैं.

इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर: बाढ़ के चलते 72 स्कूलों को किया गया बंद, शिक्षक रहेंगे उपस्थित

पितृपक्ष के दौरान सबसे पहला पिंडदान प्रयागराज उसके बाद काशी फिर गया और अंतिम पिंडदान उत्तराखंड बद्रीनाथ में किया जाता है. जिसके बाद पितरों की आत्मा को मृत्युलोक से मुक्ति मिलती है.
-अनिल कुमार मिश्रा, तीर्थ पुरोहित

ABOUT THE AUTHOR

...view details