उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

सावन के पहले सोमवार को ऐसे करें भगवान शिव की पूजा, जानें रुद्राभिषेक का महत्व

श्रावण भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं. कई महिलायें सावन के प्रत्येक दिन जल, दूध, बेलपत्र अर्पित कर भगवान शिव की पूजा करती हैं. कुवांरी कन्या अच्छे वर की कामना को लेकर इस माह में उपवास रखती हैं और शिव पूजा करती हैं.

etv bharat
भगवान शिव की पूजा

By

Published : Jul 18, 2022, 7:08 AM IST

प्रयागराज: सनातन धर्म में सावन महीने का व‍िशेष महत्‍व होता है. हिंदू पंचांग का यह पांचवा महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. मान्‍यता है क‍ि इस महीने में भगवान शंकर की व‍िध‍ि-व‍िधान से पूजा-अर्चना की जाए तो वह अत्‍यंत प्रसन्‍न होते हैं और मनोवांछ‍ित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. जहां भगवान शिव के भक्तों के लिए पूरा महीना खास होता है, वहीं सोमवार का विशेष महत्व होता है.

जानकारी देतीं पंडित शिप्रा सचदेव

सावन या श्रावण मास इस महीने को वर्षा ऋतु का आरंभ भी माना जाता है. शिव जी की इस महीने में भिन्न- भिन्न तरीकों से पूजा-अर्चना की जाती है. सावन के पूरे महीने में कई धार्मिक आयोजन होते हैं. शिव उपासना, व्रत, शिव अभिषेक, रूद्राभिषेक का इस महीने में खास महत्व है. विशेष तौर पर सावन सोमवार को व्रत रखा जाता है.

कई महिलायें सावन के प्रत्येक दिन जल, दूध, बेलपत्र अर्पित कर भगवान शिव की पूजा करती हैं. कुवांरी कन्या अच्छे वर के लिए इस माह में उपवास रखती हैं और शिव पूजा करती हैं. विवाहित स्त्री सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भगवान शिव की पूजा करती हैं.

क्यों है सावन भगवान शिव का प्रिय महीना:कहा जाता हैं कि श्रावण भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं. मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सति ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जिया. उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पुरे श्रावण महीने में कठोरतप किया. इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की.

इसे भी पढ़े-सावन के महीने में भगवान शिव की अराधना से सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी

पौराणिक मान्यता के अनुसार पंडित शिप्रा सचदेव कहती हैं कि इसी माह में समुद्र मंथन भी हुआ था. इससे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी. जब शिव का कंठ विष के प्रभाव में नीला पड़ गया तब इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था. इसी‍लिए श्रावण माह में भोलेनाथ को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

सावन में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व है. कांवड़ यात्रा में कई पवित्र नदियों का जल भरकर कावड़िये लाते हैं और शिव जी को अर्पित करते हैं. मान्यता है कि इससे शिव जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
ऐसी ही जरुरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत

ABOUT THE AUTHOR

...view details