प्रयागराज : प्रेमी के साथ मिलकर पूरे परिवार को मौत के घाट उतारने वाली बेरहम कातिल शबनम को फांसी से राहत दिलाने के लिए एक और अपील की गई है. राज्यपाल से की गई इस अपील पर महामहिम की तरफ से अपर मुख्य सचिव कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग को विधि अनुसार कार्रवाई करने को कहा गया है. राज्यपाल के यहां से भेजे गए इस पत्र से बरेली जेल में बंद शबनम को कोई राहत मिलती है या नहीं. ये आने वाले दिनों में अपर मुख्य सचिव कारागार की तरफ से की जाने वाली कार्रवाई के बाद ही पता चल पाएगा.
हर तरफ से निराश हो चुकी शबनम की जिंदगी के लिए उम्मीद बनी हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट की महिला अधिवक्ता सहेर नकवी. उन्होंने शबनम की फांसी की सजा को आजीवन कारावास की सजा में तब्दील किए जाने की मांग को लेकर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को एक लेटर भेजा था. कई महीने बाद इस लेटर का जवाब आया है, जिसमें शबनम के लिए एक आस जगी है. अधिवक्ता का कहना है कि राज्यपाल के यहां से अपर मुख्य सचिव कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग को कानून के अनुसार कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है, जिसके बाद से ये उम्मीद बंधी है कि शबनम की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है. बहरहाल इस पत्र के जरिए सिर्फ इतनी आस जगी है कि महिला अधिवक्ता की अपील के आधार पर फांसी की सजा से शबनम को मुक्ति मिल सकती है.
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शबनम पर रहम के लिए क्या है आधार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की महिला अधिवक्ता ने राज्यपाल को भेजे गए अपने पत्र में शबनम के मासूम बेटे की जिंदगी को तबाही से बचाने के लिए उसकी मां को दी गई फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की गुहार लगाई है. अधिवक्ता सहेर का यह भी तर्क है कि शबनम के 13 साल के बेटे को अभी से समाज में तमाम तरह के तानों के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसे में अगर उसकी मां को फांसी दे दी जाती है तो उसके बेटे का जीना मुश्किल हो जाएगा. अभी तक देश मे किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई है और शबनम फांसी पाने वाली पहली महिला बन गई तो लोग उसके बेटे को ताने मारकर उसके भविष्य को खराब कर देंगे. ये भी सम्भव है कि शबनम को फांसी मिलने के बाद उसके बेटे का भविष्य खराब हो जाए और वो बुरी राह पर चल पड़े, जो देश और समाज के लिए ठीक नहीं होगा. इसी वजह से शबनम के बेटे की जिंदगी को बर्बादी से बचाने के लिए महिला वकील ने राज्यपाल से रहम की गुहार लगाई.