प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर में सेक्टर-20 थाने के प्रभारी निरीक्षक रहे मनोज पंत के विरुद्ध चल रहे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के क्रिमिनल केस में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. साथ ही मनोज पंत की याचिका पर राज्य सरकार व पुलिस विभाग के आलाधिकारियों से जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने मनोज पंत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं एडवोकेट अतिप्रिया गौतम को सुनकर दिया है.
इंस्पेक्टर मनोज और तीन मीडिया कर्मियों लगा था आरोप
मामले के तथ्यों के अनुसार वर्ष 2019 में थाना सेक्टर 20 में तैनाती के दौरान एएसपी नोएडा ने मनोज पंत और तीन मीडिया कर्मियों उदित गोयल, रमन ठाकुर व सुशील पंडित के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/8/13 एवं आईपीसी की धारा 384 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. चारों पर आरोप था कि पुष्पेन्द्र चौहान से एक क्रिमिनल केस में अभियुक्तों के नाम निकालने के लिए इन लोगों ने आठ लाख रुपये मांगे थे. चारों आरोपियों को उसी दिन गिरफ्तार किया कर 8 लाख रुपये की बरामदगी भी दिखाई गई थी. गिरफ्तारी व बरामदगी की पूरी कार्रवाई तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के निर्देश पर हुई थी. गिरफ्तारी के बाद इंस्पेक्टर मनोज पंत व मीडियाकर्मियों को जेल भेज दिया गया था. साथ ही एसएसपी वैभव कृष्ण ने मनोज पंत को निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने के बाद मनोज पंत ने निलंबन आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी. हाईकोर्ट ने निलंबन आदेश को कानून के विरुद्ध मानते हुये स्थगित कर दिया. इसके बाद निलंबन आदेश रद्द कर दिया गया.
वकीलों की दलील, तत्कालीन एसएसपी ने विद्वेष भावना से कार्रवाई की