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प्रयागराज: अलीगढ़ हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब - अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोनभद्र के केपी ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि, बंद कमरे में हुई घटना में एससी-एसटी एक्ट की धारा आकर्षित नहीं होती है.

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अलीगढ़ हिंसा मामले में हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब.

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Published : Feb 24, 2020, 9:31 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की संस्तुतियों का पालन करने तथा अनुपालन रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. याचिका की सुनवाई 25 मार्च को होगी. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने मोहम्मद अमन खा की जनहित याचिका पर दिया है.

सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा की गई जांच और उसकी संस्तुतियों की रिपोर्ट न्यायालय में पेश की गई. आयोग ने संस्तुति की है कि डीजीपी ,पुलिस और पीएसी के उन जवानों की पहचान करें जो लाठीचार्ज में शामिल थे और उनके खिलाफ नियमों के तहत उपयुक्त कार्रवाई की जाए. आयोग ने घटना में घायल हुए 6 छात्रों को मानवीय आधार पर मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है.

आयोग ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि, इस प्रकार की परिस्थितियों से निपटने के लिए पुलिस बल, पीएसी और सीआरपीएफ तथा आरएएफ जैसी फोर्स को जागरूक किया जाए. उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाए तथा इन सुरक्षाबलों को और अधिक प्रोफेशनल बनाया जाए. ताकि वह ऐसी घटनाओं के समय सिविलियंस के मानवाधिकार का सम्मान कर सके.

आयोग ने डीजीपी द्वारा 6 जनवरी 2020 को गठित एसआईटी को ऐसे सभी मामलों की एक निश्चित समय सीमा में जांच करने का निर्देश दिया है. आयोग ने उन्नत अभिसूचना सिस्टम विकसित करने के लिए कहा है ताकि अफवाहें फैलने से रोका जा सके. विशेषकर सोशल मीडिया पर इस प्रकार की अफवाहें फैलती है, उनसे निपटने के लिए सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत है.

आयोग ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति से भी कहा है कि, छात्रों से संवाद का बेहतर तरीका विकसित करें, ताकि वह बाहरी तत्वों से प्रभावित न हो. अनुशासनहीनता बरतने वाले छात्रों पर कार्रवाई की जाय. कोर्ट ने मुख्य सचिव, डीजीपी यूपी, डीजी सीआरपीएफ तथा एएमयू के कुलपति को आदेश का पालन करने और अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है. मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर कहा कि बंद कमरे में आकर्षित नहीं होती धारा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत कोई मामला तभी बनता है जब अपराध लोक स्थल पर किया गया हो. जिसे लोगों ने देखा हो. बंद कमरे में हुई घटना में एससी-एसटी एक्ट की धारा आकर्षित नहीं होती है, क्योंकि बंद कमरे में हुई बात कोई बाहरी नहीं सुन पाता, जिसके चलते समाज मे उसकी छवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सोनभद्र के केपी ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति आर के गौतम ने यह आदेश दिया है.

याची के अधिवक्ता सुनील कुमार त्रिपाठी का कहना था कि, याची केपी ठाकुर खनन विभाग के अधिकारी है. खनन विभाग के कर्मचारी विनोद कुमार तनया जो कि इस मामले का शिकायतकर्ता है, के खिलाफ विभागीय जांच लंबित थी. इस सिलसिले में याची ने शिकायतकर्ता को अपने कार्यालय में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए बुलाया था. शिकायतकर्ता अपने साथ सहकर्मी एमपी तिवारी को लेकर गया था. याची ने तिवारी को चेंबर के बाहर रहने को कहा तथा उन्हें विभागीय जांच में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया.

याची अधिवक्ता का कहना था कि, शिकायतकर्ता जांच में व्यवधान पैदा करने का आदी है और इस नियत से उसने मारपीट व जान से मारने की धमकी तथा एससी एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया. जिस समय घटना हुई उस समय याची चेंबर अंदर था. कोई बाहरी व्यक्ति नहीं था, जो घटना का साक्षी रहा हो.

कोर्ट ने मामले में कहा है कि, यदि घटना लोक स्थल पर नहीं हुई है तो एक्ट के तहत अपराध नही बनता. कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए याची के विरुद्ध लगाई गई एससी-एसटी एक्ट की धारा को रद्द कर दिया. कोर्ट ने मारपीट जान से मारने की धमकी और अन्य धाराओं में के तहत मुकदमे की कार्रवाई जारी रखने की छूट दी है.

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