प्रयागराजः बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में 2 जून को जारी शासनादेश और 16 जून 2023 को जारी सर्कुलर के प्रावधानों का उल्लंघन कर शिक्षिका का अंतर्जनपदीय आवेदन खारिज करने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को इस मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने शासनादेश और सर्कुलर के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. सहायक अध्यापिका अर्चना की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने दिया.
स्थानांतरण के बाद शिक्षिका को नहीं किया रिलीवःयाची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 2 जून को शासनादेश जारी कर सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय तबादले के लिए आवेदन मांगे. शासनादेश में कहा गया था कि जिन अध्यापकों के पति अथवा पत्नी सैन्य बलों अथवा केंद्र सरकार में कार्यरत हैं, उनको आवेदन पर इसके लिए 10 अंक दिए जाएंगे. याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन बागपत में कार्यरत हैं, जो कि भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय का एक अंग है. याची अपने ऑनलाइन आवेदन में इस आधार पर अंतर जनपद स्थानांतरण की मांग की. जिसे स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बलरामपुर से बुलंदशहर कर दिया गया. लेकिन बाद में उसे बलरामपुर से रिलीव नहीं किया गया. इसके खिलाफ हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर बेसिक शिक्षा परिषद की अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि परिषद की पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय कमेटी ने याची के प्रकरण पर विचार किया और पाया कि याची के पति नेहरू युवा केंद्र संगठन में कार्यरत हैं, जो कि ऑटोनॉमस बॉडी है. इसलिए याची 10 अंक पाने के लिए पात्र नहीं है. अपने आवेदन में झूठी सूचना देने के आधार पर उसका आवेदन निरस्त किया गया है.