प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) द्वारा दी गई हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की डिग्रियों को वैध डिग्री करार दिया है. कोर्ट का कहना है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का गठन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक्ट के तहत विधायन द्वारा किया गया है इसलिए इसकी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की डिग्री को किसी बोर्ड द्वारा मान्यता ना होने के आधार पर अवैध करार नहीं दिया जा सकता है.
विवेक कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया. याची के अधिवक्ता महेश शर्मा का कहना था कि याची ने रेलवे द्वारा केंद्रीय कृत सेवायोजन योजना अधिसूचना के तहत विज्ञापित विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. लिखित परीक्षा व शारीरिक दक्षता परीक्षा आदि में उत्तीर्ण होने के बाद उसे इस आधार पर अयोग्य करार दे दिया गया क्योंकि उसकी हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की डिग्री अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई है जो कि एक वैध डिग्री नहीं है.
अधिवक्ता का कहना था कि याची को इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है कि क्यों उसकी डिग्रियां वैध नहीं है जबकि इन्हीं डिग्रियों के आधार पर उसने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की है. रेलवे का कहना था कि एएमयू द्वारा जारी प्रमाण पत्र को प्रमाणित बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह सेंट्रल बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन जोकि तमाम एजुकेशन बोर्ड को मान्यता देता है उसका सिर्फ सदस्य है और सिर्फ सदस्य होने के आधार पर या नहीं माना जा सकता है कि यह डिग्री मान्यता प्राप्त बोर्ड द्वारा जारी की गई है क्योंकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन अपने आप मान्यता प्रदान नहीं करता है.
कोर्ट का कहना था कि याची को दिया गया प्रमाण पत्र अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया है जो कि विधायन के तहत गठित संस्था है. रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं दिखाया गया है जिससे यह कहा जा सके कि विश्वविद्यालय की मान्यता या उसके द्वारा ली गई परीक्षा फर्जी है अथवा वास्तविक नहीं है अथवा मान्यता प्राप्त नहीं है. अलीगढ़ विश्वविद्यालय एक्ट के तहत इसका गठन हुआ है इसलिए इसकी डिग्रियों को अवैध नहीं कहा जा सकता है. कोर्ट ने याची को उसकी डिग्रियों के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने का निर्देश दिया है.
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