प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि खुदकुशी के लिए उकसाने का अपराध गठित करने के लिए अभियुक्त के विरुद्ध इस बात का स्पष्ट साक्ष्य होना चाहिए कि अभियुक्त द्वारा कोई सक्रिय और सीधा कार्य किया गया है, जिसकी वजह से कोई आत्महत्या कर लें, या ऐसा किया जाना चाहिए जो व्यक्ति को ऐसी परिस्थिति में डाल दें, जिसके कारण उसके पास आत्महत्या करने के सिवाय कोई विकल्प ना हो.
कोर्ट ने महोबा के चौधरी छत्रपाल यादव को आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध से मुक्त करते हुए यह आदेश दिया. चौधरी छत्रपाल यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ ने सुनवाई की. अभियुक्तों पर आरोप है कि उसने मुकेश कुमार पाठक के बेटे से 60 लाख रुपये रंगदारी के तौर पर लिए थे, इसके विरुद्ध मुकेश कुमार पाठक ने छत्रपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप है कि छत्रपाल मुकदमा वापस लेने के लिए मुकेश कुमार को लगातार धमकी दे रहा था और फर्जी मुकदमे में फंसा देने के लिए भी धमका रहा था. इससे ऊबकर मुकेश कुमार पाठक ने 13 फरवरी 2021 को अपनी लाइसेंसी राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. बरामद सुसाइड नोट में उसने खुदकुशी की वजह छत्रपाल द्वारा दी जा रही धमकी को बताया.