प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई संस्था अपने कर्मचारियों की कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान का भुगतान लंबे समय तक नहीं करती है तो वह इस वजह से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्तरदायी है. कोर्ट ने इस मामले में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा संस्था पर नुकसान के लिए लगाई गई लेवी को उचित माना है. बीएनडीएस शिक्षा निकेतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने दिया.
मामले के अनुसार बीएनडीएस शिक्षा निकेतन ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि वह एक प्राइवेट रजिस्टर्ड शैक्षणिक संस्था है जिसमें 10 से कम कर्मचारी काम करते हैं. उसे 4 जून 1991 को पहली बार बताया गया कि उनकी संस्था कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अंतर्गत आती है तथा यह योजना उनकी संस्था पर एक जुलाई 1990 से लागू होगी इसके बाद उनकी संस्था के खिलाफ बकाया वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी है जिस पर याची संस्था ने 1990 से लेकर 1995 तक का कर्मचारियों का पूरा अंशदान जमा कर दिया. इसके बाद उसे नोटिस जारी कर विलंब से अंशदान जमा करने से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा गया.