प्रयागराजःइलाहाबाद हाई कोर्ट ने दुष्कर्म और जबरन धर्मांतरण कराने के आरोपी सैम हिंगनबॉटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी सुअट्स नैनी प्रयागराज के कुलपति सहित सभी सात आरोपियों को राहत देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका निस्तारित कर दी है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को 20 दिसंबर तक अदालत के समक्ष आत्म समर्पण कर करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देश दिया है कि वह इस मामले की विवेचना 90 दिन के भीतर पूरी कर आरोप पत्र दाखिल करें. कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र बिहारीलाल सहित सभी सात आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ हमीरपुर के बेवर थाने में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिका पर न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने सुनवाई की.
2005 से महिला के साथ हो रहा था उत्पीड़न
एक महिला ने वर्ष 2005 में उसके साथ हुई घटना को लेकर प्रोफेसर आरबी लाल, रेखा पटेल, रमाकांत दुबे, विनोद बिहारी लाल, प्रोफेसर रेणु प्रसाद, डेविड फ्लिप और सुनील कुमार जान के खिलाफ दुष्कर्म और जबरन धर्मांतरण कराए जाने की प्राथमिकी 4 नवंबर 2023 को दर्ज कराई थी. पीड़िता का आरोप है कि जब वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक की छात्रा थी तब उसकी मुलाकात रेखा पटेल से हुई, जो उसे चर्च ले जाने लगी. चर्च में उसे बहुत अच्छे-अच्छे गिफ्ट दिए जाते थे. इसी चर्च में उसकी मुलाकात कुलपति प्रोफेसर आरबी लाल से हुई. बाद में उसे सुआट्स बुलाया गया, जहां पर अरबी लाल ने उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद उसे धर्म परिवर्तन के लिए तरह-तरह से प्रलोभन और डराया धमकाने जाने लगा. उसके शारीरिक व मानसिक शोषण का सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा. इस दौरान उसे अपनी जुबान बंद रखने के लिए धमकाया जाता रहा.