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MLC को मिली वाई श्रेणी सुरक्षा हटाने की याचिका पर हुई सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर के एमएलसी विशाल सिंह चंचल की वाई श्रेणी की सुरक्षा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. याचिका पर अगली सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब 26 नवंबर को होगी.

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Published : Nov 24, 2020, 7:57 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज:गाजीपुर के एमएलसी विशाल सिंह चंचल को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा हटाने की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब 26 नवंबर को सुनवाई होगी. याचिका का विरोध कर रहे प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि याची के खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं.

अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि याची आपराधिक प्रकृति का व्यक्ति है. याची ने खुद एमएलसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. याची व एमएलसी में व्यक्तिगत रंजिश है और इस नाते जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका व्यक्तिगत हित को लेकर दाखिल होने के नाते पोषणीय नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायाधीश सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि इन सारे तथ्य को हलफनामा के साथ रिकार्ड पर लाएं. याचिका वाराणसी निवासी राकेश न्यायिक ने दायर की है. उनका कहना है कि वाई श्रेणी की सुरक्षा का एमएलसी दुरुपयोग कर रहे हैं.

बता दें कि कोर्ट ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई कर पहले इस मामले में पूरे प्रदेश में लोगों को दी जा रही सुरक्षा से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध कराने का आदेश दिया, लेकिन अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल द्वारा आदेश के बाद केस मेंशन कर उनका पक्ष सुनने का अनुरोध करने के बाद कोर्ट ने आदेश के अमल पर फिलहाल रोक लगा दी थी.

भ्रष्टाचार के आरोपी दरोगा की गिरफ्तारी पर रोक से इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं के कुवरगाव थाने के दारोगा शहनाज हैदर जैदी की भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज एफआईआर के तहत गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और प्राथमिकी रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायाधीश पंकज नकवी और न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया.

याची का कहना था कि स्थानीय विधायक ने झूठे आरोप लगा उसे फंसाया है. उसके खिलाफ लगे आरोपों का कोई सबूत नहीं है. इसलिए एफआईआर रद्द की जाए. कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि कोई अपराध नहीं बनता है. ऐसे में विवेचना में हस्तक्षेप नहीं की जा सकती है.

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