प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी संस्थाओं की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमों की विवेचना एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरी करने के लिए राज्य सरकार को गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी गठित करें, जो सभी लोगों के सहयोग से एक ऐसी गाइडलाइन तय करें. जिसके जरिए विवेचना के कार्य की नियमित निगरानी की जा सके. कोर्ट ने इस कमेटी में सिविल प्रशासन, पुलिस, लोक अभियोजक आदि के प्रतिनिधियों को शामिल करने का निर्देश दिया है.
ग्राम प्रधान और सचिव ने 15 लाख का किया गोलमालःनरेगा कार्य में घोटाले के आरोपी जौनपुर सुजानगंज के मनीष कुमार सिंह, पुष्पा निषाद और विनोद कुमार सरोज की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति बीके बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने दिया है. याची ग्राम प्रधान ग्राम, विकास सचिव आदि पदों पर कार्यरत हैं. इनके ऊपर मनरेगा के तहत अमृत सरोवर योजना में बना रहे तालाब में 15,57000 रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप है.
भ्रष्टाचार के कारण ग्रामीणों का टूट रहा भरोसाः कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत में ग्रामीण विकास के लिए मनरेगा सरीखी योजनाओं में लोक सेवकों द्वारा किया गया भ्रष्टाचार का ग्रामीण विकास और जनता को रोजगार देने के लक्ष्य पर बुरा असर पड़ता है. इस प्रकार की योजनाओं में सरकारी सेवकों के भ्रष्टाचार से इन योजनाओं के प्रति ग्रामीणों का भरोसा टूटता है और इच्छित लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पता है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर सभी पहलुओं की गहराई से जांच करें और एक विस्तृत गाइडलाइन जारी की जाए. जिससे जांच की नियमित निगरानी की जा सके.