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हाईकोर्ट ने स्टाफ नर्स के रिक्त 1729 पदों के लिए विज्ञापन जारी करने पर लगाई रोक - स्टाफ नर्स भर्ती विज्ञापन

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने स्टाफ नर्स के रिक्त 1729 पदों को भरने के लिए फ्रेश विज्ञापन जारी करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : May 9, 2022, 10:05 PM IST

प्रयागराजःइलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश (Public Service Commission Uttar Pradesh) द्वारा स्टाफ नर्स / सिस्टर ग्रेट - दो के पदों पर चयन को लेकर उठे विवादों में दाखिल याचिकाओं पर सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुलाई के तीसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार स्टाफ नर्स के रिक्त 1729 पदों को भरने के लिए फ्रेश विज्ञापन जारी न करें. यह आदेश जस्टिस राजीव जोशी ने याची प्रीति पटेल व कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद पारित किया.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता समीर शर्मा, अजय त्रिपाठी, एसके शुक्ला व एसपी पांडे ने कोर्ट में पक्ष रखा. सरकार की तरफ से सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि स्टाफ नर्स की भर्ती में अनुभव प्रमाण पत्र के वैधता की जांच के लिए सरकार ने 28 अप्रैल 2022 को 3 सदस्य समिति का गठन किया है. यह समिति लगभग 15000 अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण पत्र की जांच के लिए गठित की गई है. सरकार ने इस कमेटी से अपेक्षा की है कि वह 45 दिन में अपनी रिपोर्ट दें.


वहीं, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का कहना था स्टाफ नर्स की भर्ती 3 सरकारी विभागों में होनी है. इसमें चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग, यूपी मेडिकल एंड हेल्थ सर्विसेज व केजीएमयू लखनऊ शामिल है. याचिकाओं को स्टाफ नर्स के 1729 रिक्त पदों पर चयन व नियुक्ति की जाए और इन पदों को आगे भरने के लिए कैरी फॉरवर्ड न किया जाए. याचिकाओं में इस भर्ती को लेकर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया गया है.

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ज्ञात हो कि उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा स्टाफ नर्स भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था. भर्ती प्रक्रिया के साथ अंतिम परिणाम घोषित करने के साथ ही यह भर्ती विवादों में आ गयी. प्रीति पटेल एवं अन्य द्वारा दाखिल याचिका में विभिन्न संस्थानों द्वारा निर्गत अनुभव प्रमाण पत्र को मान्यता न देना तथा कई अन्य रिट याचिकाओं में कटऑफ से ज्यादा अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को अंतिम सफल परिणाम में शामिल न करना मुख्य विवाद है.

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