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आदतन अपराधी पर ही गुंडा एक्ट लगेगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

आदतन अपराधी पर ही गुंडा एक्ट लगेगा (Goonda Act will be imposed on habitual offenders). ये टिप्पणी बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश मे की. साथ ही यूपी गुंडा एक्ट के दुरुपयोग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताई.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 7:22 AM IST

प्रयागराज: बुधवार को यूपी गुंडा एक्ट के दुरुपयोग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताई (Allahabad High Court on misuse of UP Goonda Act) है और राज्य सरकार को 31अक्टूबर तक गुंडा एक्ट की कार्यवाही में प्रदेशभर में एकरूपता के लिए गाइडलाइन जारी कर उसका कड़ाई से पालन कराने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्यवाही में एकरूपता नहीं है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि लोक शांति के लिए खतरा बने समाज में भय फैलाने वाले आदतन अपराधी को गुंडा एक्ट का नोटिस दिया जाना चाहिए. केवल एक आपराधिक केस पर गुंडा एक्ट की कार्यवाही नहीं की जा सकती. इस एक्ट के तहत व्यक्ति को नगर सीमा से बाहर करने का प्रावधान है.

इसके बावजूद एक आपराधिक केस पर ही गुंडा एक्ट का नोटिस देकर दुरुपयोग किया जा रहा है. इससे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की कॉपी प्रदेश के सभी कार्यपालक अधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया है. याची के खिलाफ एफडीएम वित्त एवं राजस्व अलीगढ़ की गुंडा एक्ट के तहत याची को जारी नोटिस रद कर दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने अलीगढ़ के गोवर्धन की याचिका को स्वीकार करते हुए बुधवार को दिया. कोर्ट ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम में प्रदत्त असाधारण और असामान्य शक्तियों का प्रयोग करने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिए लेकिन पाया जा रहा है कि इस अधिनियम के प्रावधानों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है. अधिकारी अपनी सनक और मनमर्जी से इस असाधारण शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं और एक अकेले मामले या कुछ बीट रिपोर्ट पर नोटिस जारी कर रहे हैं.

यह निवारक अधिनियम को कुंद बनाने जैसा है. गुंडा अधिनियम के प्रावधानों का अविवेकपूर्ण प्रयोग और व्यक्तियों को नोटिस भेजना अधिकारियों की इच्छा या पसंद पर आधारित नहीं है. एक ही मामले में नोटिस जारी करना काफी परेशान करने वाला है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों से अपेक्षा है कि आरोपी व्यक्ति के विरुद्ध आरोपों की सामान्य प्रकृति, जनता के बीच उनकी व्यक्तिगत छवि व सामाजिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में विचार कर एक निर्धारित प्रोफार्मा पर नहीं बल्कि सुविचारित आदेश करेंगे.

इस कानून में डीएम को गुंडा एक्ट के तहत आदतन अपराधी को जिला बदर करने का अधिकार दिया गया है. कोर्ट ने सभी डीएम और उनके अधीन काम करने वाले कार्यकारी अधिकारियों को आगे से उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. यह भी कहा कि ठोस आधार व तथ्य होने पर ही कार्यवाही करेंगें.

याची के खिलाफ यूपी गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 की धारा तीन के तहत गत 15 जून को दो मामलों के आधार पर कार्रवाई नोटिस जारी किया गया था. याची के खिलाफ दर्ज दो मामले में एक एफआईआर है, तो दूसरी तथाकथित रपट है. ये मामले अलीगढ़ के छर्रा थाने में दर्ज हैं. कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर कारण बताओ नोटिस पर हस्तक्षेप नहीं किया जाता. वास्तव में एक ही मामले को लेकर गुंडा एक्ट की कार्यवाही की गई है.

कोर्ट ने जब एक केस पर गुंडा एक्ट की कार्यवाही को गलत बताया तो अपर शासकीय अधिवक्ता ने अचानक कहा कि दो तीन अन्य केस भी हैं जिनका उल्लेख नोटिस में नहीं किया गया है. इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि लुकाछिपी की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह वैसा ही है जैसे एक हाथ को पता हो और दूसरे को पता ही न हो. ऐसा आदेश रद्द होने योग्य है.

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