प्रयागराज : संगम नगरी में गंगा-यमुना नदियां उफान पर हैं. जिसके कारण बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया है. गलियों और घरों में पानी भर जाने से स्थानीय लोगों की मुशीबतें बढ़ गईं हैं. बता दें, कि गंगा और यमुना नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं.
गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. गंगा-यमुना के प्रकोप से अब निचले इलाकों के साथ ही कई रिहायशी इलाके भी जलमग्न होने लगे हैं. प्रयागराज में दोनों नदियों का डेंजर लेवल 84.73 मीटर है. गंगा नदी डेंजर लेवल को क्रास करके 85.78 मीटर तक पहुंच चुकी हैं. वहीं यमुना नदी 85.67 मीटर तक पहुंच गयी हैं.
गंगा-यमुना नदियां बह रहीं खतरे के निशान से ऊपर इन इलाकों रह रहे कुछ लोग पलायन कर चुके हैं. जो लोग बचे हुए हैं, वह बाहर आने-जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं. घरों और गलियों में कई फुट तक जलभराव के कारण लोग घरों की छत पर रह रहे हैं. छतों पर निवास कर रहे लोग लकड़ी की सीढ़ियों का सहारा ले रहे हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बघाड़ा इलाके का निरीक्षण किया.
गंगा-यमुना नदियां बह रहीं खतरे के निशान से ऊपर इस दौरान ईटीवी भारत की टीम को बाढ़ प्रभावित इलाके में जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. ईटीवी भारत के संवाददाता ने खुद लकड़ी की सीढ़ी पर चढ़कर इलाके में रहने वाले लोगों का हाल जाना. इस दौरान स्थानीय लोगों ने बताया, कि अधिकतर लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं. यहां सिर्फ वही लोग रहे रहे हैं, जिनका किसी अन्य जगह पर रहने का ठिकाना नहीं है.
गंगा-यमुना नदियां बह रहीं खतरे के निशान से ऊपर स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर वह घर को छोड़कर कहीं अन्य स्थान पर चले जाते हैं तो उनके घरों चोरी होने का खतरा है. इसलिए वह जान-जोखिम में डालकर रह रहे हैं. लोगों का साफ कहना है कि घरों में रखा हुआ सामान छोड़कर जाना खतरे से खाली नहीं है. स्थानीय लोगों ने बताया जरूरी सामान लाने के लिए उन्हें काफी मुश्किलों से गुजरना होता है. गलियों में नाव और छत पर जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ी का सहारा लेना होता है.
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