प्रयागराज: वर्ष 2006 से गंगा में प्रदूषण नियंत्रण करने के कार्य की निगरानी कर रही गंगा प्रदूषण याचिका राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) स्थानांतरित हो सकती है. बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुनवाई कर रही तीन जजों की पीठ ने महाधिवक्ता से कहा कि वह इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र पीठ के समक्ष दाखिल कर याचिका स्थानांतरित करने की मांग करें, जिस पर कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय करेगी. इससे पूर्व महाधिवक्ता अजय मिश्र ने पीठ के समक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि देश के सभी राज्यों में गंगा प्रदूषण को लेकर चल रहे सभी मामलों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को स्थानांतरित कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब इस कोर्ट को याचिका पर सुनवाई का अधिकार नहीं है.
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पहले से ही गंगा प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रहा है. गंगा से संबंधित सभी राज्य ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखते हैं. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना भी केंद्र सरकार की है और हमारे पास विशेषज्ञों की काफी कमी है जबकि ट्रिब्यूनल के पास अच्छे विशेषज्ञ हैं इसलिए यह बेहतर रहेगा कि गंगा में प्रदूषण के प्रकरण की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा ही की जाए. हालांकि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता और एमिकस क्यूरी अरुण गुप्ता ने इसका विरोध किया मगर कोर्ट का कहना था कि अगर उन्हें इस मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है तो वह इस पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं. कोर्ट ने इस मामले में 27 मार्च की तिथि नियत करते हुए महाधिवक्ता से कहा है कि वह कोर्ट में नियमानुसार स्थानांतरण अर्जी दाखिल करें तथा इस मामले से संबंधित सभी पक्षों को भी उसकी प्रति दें ताकि सभी पक्ष अपनी बात अदालत के सामने रख सकें सभी को सुनने के बाद ही अदालत इस मामले पर कोई निर्णय करेगी.