प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट के तहत किसी मामले में गैंग चार्ट को अंतिम रूप से तभी मंजूरी दी जा सकती है, जब उस मामले से संबंधित मूल वाद की विवेचना पूरी कर ली जाए. कोर्ट ने कहा कि कानून की स्पष्ट मंशा है कि गैंगस्टर एक्ट की नियमावली के अनुसार मूल वाद की विवेचना पूरी करने के बाद ही गैंग चार्ट को अंतिम रूप से मान्यता दी जा सकती है. गौतमबुद्ध नगर के नरेंद्र कुमार की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक बिड़ला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने दिया.
याची के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर के दादरी थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. इसे याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. याची पर राज्य सरकार द्वारा एससी-एसटी के भूमिहीनों को आवंटित भूमि सुनियोजित अपराध के तहत सस्ते में जमीन खरीदने और उसे अधिक मूल्य पर बेचने का आरोप है. सरकार ने इसे संगठित रूप से किया गया अपराध मानते हुए गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया.
गैंगस्टर एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती देते हुए याची के अधिवक्ता ने कहा कि याची पर गैंगस्टर की कार्रवाई गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों और नियमों का उल्लंघन करके की गई है. गैंग चार्ट रूल के प्रावधानों का पालन किए बिना तैयार किया गया है. मूल वाद की विवेचना पूरा किए बिना ही गैंग चार्ट को अंतिम रूप दे दिया गया. यह भी कहा गया कि गैंग चार्ट तैयार करते समय चार्ज शीट भी अदालत में दाखिल नहीं थी. इससे गैंगस्टर एक्ट के रूल 5(3)(c) और रूल 10 का भी उल्लंघन होता है.